बलवंत तक्षक, चंडीगढ़।
शिरोमणि अकाली दल को लोगों का फैसला मंजूर है, लेकिन अमरिंदर सरकार के
फैसले को पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने नामंजूर कर दिया है। बादल
ने यह भी साफ कर दिया है कि पंजाब की जनता के हित में लिए गए कांग्रेस
सरकार के फैसलों का अकाली दल समर्थन करेगा, पर जनविरोधी फैसलों के खिलाफ
पार्टी आवाज उठाएगी।
पंजाब विधानसभा चुनावों में अकाली-भाजपा गठबंधन
को 117 सीटों में केवल 18 सीटों पर जीत मिली है। इनमें भाजपा की 3 और
अकाली दल की 15 सीटें हैं। पंजाब के चुनावी इतिहास में अकाली दल का यह अब
तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। चुनाव में पराजय के कारणों पर विचार-विमर्श
के लिए बुलाई गई बैठक में अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने लोगों
के फैसले को खुले मन से स्वीकार किया है। हालांकि, उन्हें मलाल है कि पिछले
दस साल के दौरान सत्ता में रहते अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने पंजाब को
तरक्की देने में कोई कसर नहीं छोड़ी, बावजूद इसके लोगों के हाथों मिली पराजय
को वे स्वीकार करते हैं।
सुखबीर बादल को उम्मीद है कि कांग्रेस के
अगले पांच साल के शासन में लोग तुलना करेंगे कि बादल सरकार ने विकास के
ज्यादा कार्य किए या अमरिंदर सरकार ने? जूनियर बादल को लगता है कि
अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार का पलड़ा भारी रहेगा। अकाली कार्यकर्ताओं से
मुलाकात के दौरान भी सुखबीर बादल हार के कारणों की पूछ-पड़ताल कर रहे हैं।
पंजाब विधानसभा के 24 मार्च से शुरु हो रहे सत्र के दौरान कांग्रेस सरकार
से मुकाबले के लिए भी अकाली दल के विधायक खुद को तैयार कर रहे हैं।
अकाली
दल ने चुनावों में हार तो स्वीकार कर ली है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री बादल
ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से उन्हें मुफ्त सरकारी मकान
देने की पेशकश को स्वीकार नहीं किया है। हालांकि, बादल ने इस पेशकश के लिए
कैप्टन का आभार जरूर व्यक्त किया है। बादल ने कहा है कि वे इतने सक्षम हैं
कि अपने लिए चंडीगढ़ में आवास की व्यवस्था कर सकते हैं।
विपक्ष के नेता का
पद आप के खाते में
यहां यह
उल्लेखनीय है कि संख्या बल के हिसाब से राज्य विधानसभा में अकाली दल तीसरे
नंबर की पार्टी है। आप और उसके सहयोगी दल लोक इन्साफ पार्टी को 22 सीटें
(आप को 20 व लोइपा को 2)मिली हैं। ऐसे में विधानसभा में विपक्ष के नेता का
पद आप के खाते में चला गया है। आप के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री
अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी के लिए एच.एस.
फूलका का चयन किया है। विपक्ष के नेता के नाते फूलका को कैबिनेट मंत्री के
समान सरकारी मकान की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। ऐसे में बादल को अपना
मौजूदा सरकारी आवास छोड़ना पड़ेगा और विपक्ष के नेता वे बन नहीं पाये।
मौजूदा
हालात के मद्देनजर कैप्टन ने उदारता दिखाते हुए बादल को मुफ्त सरकारी आवास
देने की पेशकश की थी। विधानसभा में बादल सबसे उम्रदराज विधायक हैं। कई बार
मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने कई बरसों तक पंजाब के लोगों की सेवा की
है। राजनीति में उनके लंबे तजुर्बे के मद्देनजर ही कैप्टन ने पुराने कटु
अनुभव भुलाते हुए उन्हें मकान उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था, लेकिन बादल
ने विनम्रता से इस पेशकश को नकार दिया।
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