नई दिल्ली। यूनीक आइडेंटिटी डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने
दावा किया है कि सरकार चाहे भी तो नागरिकों की जासूसी में आधार का इस्तेमाल
नहीं कर सकती है। यूआईडीएआई यह बात सुप्रीम कोर्ट में कही है। यूआईडीएआई
की ओर आडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने देश के चीफ जस्टिस जे.एस. खेहर
की अध्यक्ष वाली नौ जजों की बेंच से कहा है कि तकनीकी रूप से ऐसा संभव नहीं
है। साथ उन्होंने कहा कि मैं यह बात दिखा दूंगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आपको बता दें कि
यह बेंच इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही है कि निजता का अधिकार भारत में मौलिक
अधिकार के दायरे में है या नहीं। बता दें कि आधार का विरोध करने वालों ने
दलील दी थी कि इसे अनिवार्य करने से सारे अधिकार सरकार के हाथों में
केंद्रित हो जाएंगे और वह नागरिकों की जासूसी कर सकती है।
तुषार
मेहता ने कहा कि निगरानी का दावा आधारहीन है। सभी बायॉमेट्रिक्स की
रिपॉजिटरी एक वैधानिक इकाई है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार को किसी कोर्ट के
आदेश से इसकी शक्ति मिल जाए तो भी उसे इस तरह के डीटेल्स नहीं मिल पाएंगे
कि किसी व्यक्ति ने किस मकसद से अपनी आइडेंटिटी को ऑथेंटिकेट किया था।
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