रेल मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2014 में मेंटेनेंस के
कारण मात्र 101 ट्रेनें निरस्त हुई थीं। वहीं वर्ष 2018 में निरस्त हुई
गाडिय़ों की संख्या 2867 हो गई और वर्ष 2019 के नौ माह में यह संख्या 2251
हो गई। यदि इसे पूरे 12 माह अर्थात साल में बदला जाए तो यह आंकड़ा 3000 तक
पहुंच जाता है।
विगत वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि मेंटेनेंस के
कारण निरस्त होने वाली ट्रेनों का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है।
आरटीआई के जरिए यह भी पूछा गया था कि मेंटेनेंस के चलते ये ट्रेनें कितने
दिनों के लिए निरस्त की गई हैं? लेकिन इस सवाल का जवाब अभी नहीं मिला है।
रेल मंत्रालय ने अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि निरस्त हुई ट्रेनों के
मामले में श्रेणीवार गाडिय़ों का ब्यौरा नहीं रखा जाता है। आशय यह है कि
पैसेंजर सहित अन्य श्रेणी की कितनी गाडिय़ां रद्द हुईं, इसका ब्यौरा नहीं
है।
(IANS)
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