लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को
स्पष्ट जनादेश मिला है। विधानसभा चुनाव में उतरने से पहले और प्रचार के दौरान
भाजपा ने उप्र की जनता से कई महत्वपूर्ण वादे किए थे। ये वादे महज जुमले बनकर न
रह जाएं, यह नई सरकार की चुनौती रहेगी।
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वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा सरकार के सामने अब उन वादों को पूरा
करने की चुनौती रहेगी, जो पार्टी और प्रधानमंत्री ने उप्र की जनता से किए थे।
उप्र चुनाव में प्रचार के दौरान भाजपा की तरफ से कई संवदेनशील मुद्दों को भी हवा
दी गई। इन मुद्दों को लेकर बड़े-बड़े दावे केंद्र की भाजपा सरकार की तरफ से किए
गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कई जनसभाओं में जोर देकर कहा था कि उप्र
में भाजपा की सरकार बनने के बाद कैबिनेट की पहली बैठक में ही लघु व सीमांत किसानों
का कर्ज माफ कर दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री के इस वादे पर भी सबकी नजरें रहेंगी कि कैबिनेट की पहली बैठक में
किसानों को क्या-क्या मिलता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि उप्र का सांसद
होने के नाते वह इस बात की खुद निगरानी करेंगे कि उप्र की सरकार अच्छा काम कर रही
है या नहीं।
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने चुनाव के बीच में ही `श्मशान और कब्रिस्तान` का मुद्दा
भी उठाया था। सपा की सरकार पर उन्होंने यह आरोप लगाया था कि सरकार कब्रिस्तान की
चहारदीवारी के लिए पर्याप्त धन तो दे रही है, लेकिन श्मशान के लिए वह कोई सुविधा
नहीं दे रही है। उप्र में सरकार बनने के बाद श्मशान और कब्रिस्तान को लेकर भाजपा
का क्या रुख रहता है, यह भी देखना काफी दिलचस्प होगा।
मोदी के इन बयानों को लेकर बीबीसी के पूर्व पत्रकार और `नार्थ ब्लॉक साउथ ब्लॉक`
के संपादक दुर्गेश उपाध्याय ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार के गठन के
बाद वाकई सरकार पर अपने वादों को पूरा करने का दबाव होगा।
उपाध्याय ने कहा, "उप्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद
एंटी-रोमियो टीम, किसानों की कर्जमाफी और बुंदेलखंड के विकास का मुद्दा तो रहेगा
ही, साथ में भाजपा को उप्र में कानून व्यवस्था को लेकर भी काफी काम करना होगा।
भाजपा हमेशा से इस मुद्दे को लेकर सपा को घेरती रही है, लिहाजा उसे अब इन मुद्दों
पर जनता को जवाब देना होगा।"
उन्होंने कहा कि हालांकि एक संभावना यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी की नजर उप्र की
सरकार पर रहेगी, क्योंकि वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले यहां कई वादे पूरे
करने होंगे, क्योंकि चुनाव में सभी दल उनसे भी हिसाब मांगेंगे।
उप्र में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बार-बार
यह मुद्दा उठाया था कि उप्र में कॉलेज और स्कूलों के बाहर हो रही छेड़खानी को
रोकने के लिए एंटी-रोमियो टीम बनाई जाएगी।
भाजपा ने इस चुनाव में तीन तलाक के मुद्दे को भी काफी हवा दी थी। पार्टी ने कहा था
कि इस मुद्दे को लेकर वह सुप्रीम कोर्ट जाएगी, ताकि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक
से छुटकारा मिल सके।
राजनीतिक विश्लेषक हालांकि यह मान रहे हैं कि उप्र में मुस्लिम बहुल इलाकों में भी
भाजपा ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। इससे ऐसा लग रहा है कि लोकसभा चुनाव से
पहले भाजपा इस मुद्दे को और धार देगी, ताकि इसका राजनीतिक लाभ लिया जा सके।
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