कोलकाता। भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की वापसी यात्रा या बहुदा यात्रा का जस्न रविवार को नादिया जिले के इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कांसियसनेस (इस्कॉन) के वैश्विक मुख्यालय, मायापुर में तथा पश्चिम बंगाल के अन्य हिस्सों में मनाया गया। मायापुर में प्रभुपाद घाट पर स्थित गुंडिचा मंदिर में नौ दिन बिताने के बाद तीनों मूर्तियां अपने-अपने रथों पर सवार होकर वापस राजापुर मंदिर पहुंच गईं। गुंडिचा मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ थी, और उन्हें रथों की सफाई करते और यात्रा के आयोजन में व्यस्त देखा गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस्कॉन के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘भारतीयों के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, अमेरिका, पेरू, ब्रिटेन, फ्रांस, ब्राजील, रूस, चीन से आए भक्तों, अतिथियों और तीर्थयात्रियों ने रथों को खींचकर इस समारोह में हिस्सा लिया।’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इस वापसी यात्रा के दौरान रास्ते में दोनों तरफ खड़े विभिन्न समुदाय के लोगों ने पूरे हर्षोल्लास के साथ रथों का स्वागत किया। नरसिंह लीला और रामचंद्र लीला को चित्रित करने वाले दो विशाल झाकियां इस यात्रा का विशेष आकर्षण थीं।’’
कोलकाता में हजारों की संख्या में श्रद्धालु औतराम रोड, जेएल नेहरू रोड और सीआईटी रोड से रथों को खींचते हुए शहर में स्थित इस्कॉन मंदिर पहुंचे, जहां भगवान जगन्नाथ की वापसी का समारोह मनाया गया। यहां इस यात्रा को उल्टो-रथयात्रा के नाम से भी जाना जाता है। पूरे कोलकाता और उपनगरों में बच्चों ने छोटे-छोटे रथों को खींचकर इस त्योहार को मनाया।
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