कोलकाता/मुर्शिदाबाद | पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में तृणमूल कांग्रेस के दो गुटों के बीच सत्ता संघर्ष ने एक बार फिर हिंसक रूप ले लिया है। रविवार रात को रेजिनगर थाना क्षेत्र के नाजिरपुर इलाके में दोनों गुटों के समर्थकों के बीच हुई बमबाजी और झड़प में दो लोग घायल हो गए हैं। इसके अलावा कई घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट की भी घटनाएं सामने आई हैं।
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सूत्रों के अनुसार, यह संघर्ष रेजिनगर से विधायक रबीउल आलम चौधरी और तृणमूल के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष अताउर रहमान के गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा है। बताया जा रहा है कि रविवार शाम पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष के समर्थकों ने विधायक गुट से जुड़े एक पंचायत सदस्य के रिश्तेदार के साथ मारपीट की, जिसके बाद तनाव ने विस्फोटक रूप ले लिया।
रात होते-होते दोनों पक्षों के बीच बमबारी और खुली झड़प शुरू हो गई। चश्मदीदों के अनुसार, झड़प के दौरान बम धमाकों की आवाजें दूर-दूर तक सुनाई दीं, जिससे स्थानीय लोगों में आतंक और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई।
घायलों में एक की हालत गंभीर
हिंसा में घायल दो लोगों में से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिसे इलाज के लिए मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दूसरे घायल का प्राथमिक इलाज स्थानीय स्तर पर चल रहा है।
लूटपाट और घरों में तोड़फोड़ के आरोप
स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि झड़प की आड़ में कई घरों में लूटपाट की गई और सामानों को तहस-नहस कर दिया गया। महिलाओं और बच्चों में दहशत का माहौल है। कई परिवार रात को ही अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तलाश में निकल पड़े।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही रेजिनगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में लिया। इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और दोषियों की पहचान कर जल्द कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “घटना राजनीतिक द्वेष का परिणाम प्रतीत हो रही है। हम शांति बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
तृणमूल कांग्रेस की चुप्पी सवालों के घेरे में
घटना को लेकर तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। जहाँ पार्टी दावा करती है कि वह संगठन में अनुशासन बनाए हुए है, वहीं स्थानीय स्तर पर गुटीय संघर्ष आए दिन हिंसक रूप लेता जा रहा है।
रेजिनगर की यह घटना दर्शाती है कि राजनीतिक सत्ता की लड़ाई अब आम नागरिकों की सुरक्षा पर भारी पड़ने लगी है। तृणमूल के आंतरिक संघर्ष का यह रूप पार्टी के अनुशासन और नेतृत्व पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। पुलिस पर यह जिम्मेदारी है कि वह ना सिर्फ कानून व्यवस्था बहाल करे, बल्कि पीड़ित परिवारों को न्याय भी दिलाए।
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