कोलकाता। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के पश्चिम बंगाल इकाई प्रमुख जमीरुल हसन ने आरोप लगया है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इशारों पर प्रदेश पुलिस उनके पार्टी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने और धमकाने का काम कर रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि इस डराने वाली रणनीति के खिलाफ वह अदालत का रुख करेंगे और कोलकाता में जनवरी में होने वाली रैली के लिए पार्टी अपनी तैयारियों के साथ आगे बढ़ रही है।
जमीरुल हसन ने कहा, "पूरे प्रदेश में पुलिस अधिकारी हमारे नेताओं के साथ अभद्रता कर रहे हैं। वे उन्हें राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग नहीं लेने को लेकर चेता रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि मुख्यमंत्री ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि हमें कोई बैठक नहीं करने दी जाए और जुलूस नहीं निकालने दिया जाए।"
हसन ने आरोप लगाया कि मालदा जिला प्रभारी मतीउर रहमान को सिर्फ सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया, जिसमें उन्होंने बनर्जी सरकारी की नीतियों की आलोचना की थी।
पुलिस के अनुसार, रहमान पर साइबर क्राइम और मानहानि का मुकदमा दर्ज किया गया है।
राज्य में होने वाले सभी चुनावों में भाग लेने की योजना बनाने वाली एआईएमआईएम ने अभी अपनी बंगाल यूनिट की आधिकारिक शुरुआत नहीं की है।
हसन ने कहा, "हमारी योजना जनवरी में कोलकता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में एक विशाल रैली का आयोजन कर अपनी पार्टी को शुरू करने की है। यहां हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी प्रमुख वक्ता के तौर पर मौजूद रहेंगे।"
इस ग्राउंड की कस्टोडियन सेना है और पार्टी ने रैली के आयोजन के लिए सेना, पुलिस और दमकल विभाग की पहले से जरूरी इजाजत के लिए आवेदन किया है। हसन ने कहा, "हमें उम्मीद है कि जल्द ही हमें इजाजत मिल जाएगी।"
उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम चुपचाप महीनों से कार्य कर रही है। कई जिलों में बैठकों का आयोजन किया गया, जहां लोगों की अच्छी संख्या रही। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राज्य के सभी वर्गो और समुदायों का समर्थन हासिल करने की कोशिश करेगी।
उन्होंने ममता सरकार पर मुसलमानों से भेदभाव का आरोप लगाया। हसन ने कहा कि 2011 में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से 90 ऐसे लोग रिहा किए गए हैं जो उम्रकैद का सामना कर रहे थे। इनमें से एक भी मुसलमान नहीं है।
हसन ने कहा कि यह भी सही नहीं है कि ममता सरकार मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों को भत्ते दे रही है। यह भत्ते वक्फ के फंड से दिए जा रहे हैं जिसका नतीजा यह हुआ है कि वक्फ फंड 400 करोड़ रुपये से घटकर 200 करोड़ रुपये रह गया है।
--आईएएनएस
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