पिथौरागढ़। उत्तराखंड जिसे देवभूमि कहा जाता है, जहां न जाने कितने रहस्य छिपे हुए हैं। फिर चाहे वो रहस्य मंदिरों के हों या फिर किसी जगह के। उत्तराखंड में एक ऐसी ही जगह है, जहां की धरती में खरबों का सोना है। इस सोने को अब निकालने की भी कवायद तेज हो गई है।
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पाल राजवंश की राजधानी रहे अस्कोट क्षेत्र में धरती के नीचे दबे सोने को निकलने के लिए हैदराबाद की कंपनी से करार कर लिया गया है। केंद्र सरकार से प्रस्ताव के विस्तार की स्वीकृति का इंतजार है। डीडीहाट क्षेत्र के विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने पिथौरागढ़ में मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि पूर्व में कराए गए भूगर्भीय सर्वेक्षण में अस्कोट से जौलजीबी और ओगला से भागीचौरा तक करीब 15 किमी. क्षेत्र के भूगर्भ में सोना, तांबा, जस्ता और शीशा होने की पुष्टि हो चुकी है। कनाडा की कंपनी ने भी सर्वे किया था। धरती के गर्भ से सोना निकाले जाने के लिए पूर्व में कनाडा की कंपनी के साथ गोल्ड माइन समझौता हुआ था। कंपनी ने क्षेत्र में कई सुरंग तैयार कर सर्वे पूरा कर लिया था। लेकिन, इस बीच अस्कोट अभ्यारण्य का पेंच फंस गया था। जिसके चलते कंपनी को अपना काम बंद करना पड़ा। उसके बाद हैदराबाद की कंपनी के साथ करार हुआ।
बिशन सिंह चुफाल ने बताया कि अस्कोट अभ्यारण्य का पेंच हटने के बाद हैदराबाद की एक कंपनी ने सोना निकालने में रूचि दिखाई है। कंपनी के साथ करार हो चुका है। पूर्व में सोना, जस्ता, शीशा आदि खनिज निकालने के लिए जो लीज स्वीकृत हुई थी, उसके विस्तार का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। जल्द ही इसे स्वीकृति मिल जाने की उम्मीद है। खनन कार्य शुरू होते ही क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव आयेगा।
पूर्व कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने कहा कि आने वाला समय पिथौरागढ़ जनपद का होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदि कैलास और ओम पर्वत पहुंचने के बाद अब बड़ी तादाद में पर्यटक यहां आने लगे हैं। गढ़वाल में चारधाम यात्रा से जिस तरह हरिद्वार से बद्रीनाथ, केदारनाथ तक के लोगों को फायदा मिला है, उसी तरह आदि कैलास से पूरे जनपद के लोग लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि तवाघाट-लिपुलेख सड़क को बेहतर बनाने के लिए भी कार्ययोजना बन रही है।
--आईएएनएस
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