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देसंविवि में वेदवाणी संस्कृत पर राष्ट्रीय सेमीनार का शुभारंभ, संस्कृत में समाई है अमूल्य निधि: राज्यपाल

Inauguration of National Seminar on Vedavani Sanskrit in Desam University, Sanskrit is an invaluable treasure: Governor - Haridwar News in Hindi

हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (उच्चतर शिक्षा विभाग) एवं देवसंस्कृति विवि के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत का भाषा वैज्ञानिक पक्ष और तकनीकी शब्दावली पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आरंभ हुआ। राज्यपाल ले. ज. (सेनि) गुरमीत सिंह, देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, सीएसटीटी के अध्यक्ष प्रो. गिरीश नाथ झा एवं असि. डायरेक्टर जे. एस. रावत ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि राज्यपाल सिंह ने कहाकि सं यानि श्वांसों का जो कृत करें, वही संस्कृत है। संस्कृत के मंत्रों के उच्चारण से आनंद की अनुभूति होती है। स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। गायत्री महामंत्र का उच्चारण मन को आनंदित करता है। मन और आत्मा का जुड़ाव कराता है गायत्री महामंत्र।
राज्यपाल ने कहा कि जिस दिन संस्कृत व सभ्यता का योग हो जाएगा, भारत विश्व गुरु की आसन पर होगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्व की प्राचीन भाषा है। संस्कृत संस्कारित भाषा है। संस्कृत में वैश्विक ज्ञान की अमूल्य निधि समाई हैै। पुरातन ज्ञान को नवीनता के साथ संस्कृत के माध्यम से ग्रहण किया जा सकता है। देसंविवि में संस्कृत भाषा की चर्चा करने के बाद जो अमृत सा विचार निकलेगा, वह पूरी दुनिया में जाएगा, ऐसा विश्वास है।
राज्यपाल ने कहा कि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में जो संस्कृत, संस्कार व आधुनिक तकनीकी का संगम है, यह आज की युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है। युवाओं का आवाहन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि हर व्यक्ति को राष्ट्र के विकास में अपना योगदान करना चाहिए।
इससे पूर्व कार्यक्रम की पृष्ठभूमि से अवगत कराते हुए देसंविवि के प्रतिकुलपति एवं युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि संस्कृत का संबंध अतित, वर्तमान व भविष्य से जुड़ा है। हम लोग संस्कृत भाषा के माध्यम से ही प्राच्य विद्या से अवगत होते हैं। संस्कृत के संसर्ग में जो भी आया, निहाल हो गया। उन्होंने कहा कि जिस तरह छाया को काटना, मिटाना संभव नहीं है, उसी तरह भारतीय संस्कृति को मिटाना असंभव है।
प्रो. गिरिश नाथ झा ने कहा कि भारतीय भाषाओं की जननी है संस्कृत। प्रत्येक भारतीय भाषाओं में संस्कृत की शब्दावलियां समाहित हैं। इस संगोष्ठी में उभरे विचारों पर गहनता से विचार किया जाएगा। इससे पूर्व राज्यपाल गुरमीत सिंह ने देश की सुरक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सैनिकों की याद में बने शौर्य दीवार में पुष्पांजलि अर्पित की और सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को नमन किया।
समापन से पूर्व राज्यपाल ने अश्वमेध महायज्ञ विशेषांक अनाहद, इंटरनेशलन जर्नल (यज्ञ पर शोध), यज्ञ ज्योति आदि का विमोचन किया। देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने राज्यपाल को स्मृति चिह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया। इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय, देवसंस्कृति विवि और विभिन्न राज्यों से आये अनेक शिक्षाविद उपस्थित रहे।

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Web Title-Inauguration of National Seminar on Vedavani Sanskrit in Desam University, Sanskrit is an invaluable treasure: Governor
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