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देव संस्कृति विश्वविद्यालयः देश के भाग्य बदलने की शक्ति शिक्षा में निहित : राज्यपाल

Dev Sanskriti Vishwavidyalaya: The power to change the destiny of the country lies in education: Governor - Haridwar News in Hindi

हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में चल रहे दो दिवसीय ज्ञानकुंभ का आज समापन हो गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल ले. ज. (से.नि.) गुरमीत सिंह, प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, अतुल भाई कोठारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि राज्यपाल ले. ज. (से.नि.) गुरमीत सिंह ने कहाकि ज्ञानकुंभ में उभरे विचारों को पुस्तकाकार दें, जिससे आने वाली पीढियां लाभान्वित होंगी और भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रसार होगा। भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में यह एक गेमचेंजर साबित होगा। राज्यपाल ने कहा कि विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत, विश्व गुरु भारत शिव की त्रिशुल की तरह है। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा में ही देश का भाग्य बदलने की शक्ति निहित है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को वैश्विक स्तर पर महाशक्ति के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि सद्ज्ञान से ही सोच को स्वच्छता संभव है। उन्होंने एआई की महत्ता व उपयोगिता पर उल्लेखनीय जानकारी दी।
समापन समारोह के अध्यक्ष देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति युवा आइकान डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहाकि विश्व के समस्त समस्याओं का समाधान भारत के पास विद्यमान है। हम सभी को अपने हृदय के अंदर भारतीयता को धारण करना है, ताकि हमारी सनातन संस्कृति की वैभवशाली परंपरा को जीवंत रख सकें। इससे पूर्व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय महासचिव अतुल भाई कोठारी ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि से अवगत कराया और दो दिन चले ज्ञानकुंभ की संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।
ज्ञानकुंभ समारोह के दौरान वक्ताओं ने कहा कि किसी भी राष्ट्र को उन्नत, खुशहाल व समृद्ध राष्ट्र बनाने में युवा पीढ़ी का महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसीलिए युवाओं को ऐसी शिक्षा दी जाए, जिससे वह उच्च से उच्चतर स्थिति में पहुंच सके। वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति से युवाओं में एक नया आत्मविश्वास और एक नई ऊर्जा विकसित होगी।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित पहले ज्ञानकुंभ में सम्मिलित देश के तीस से अधिक शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों, शिक्षाविदों एवं वरिष्ठ पदाधिकारियों ने माना कि जिस तरह देसंविवि में युवाओं के कौशल विकास के साथ रचनात्मकता का समावेश किया जा रहा है, इससे देश संस्कारवान व आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर होगा। इसे सभी शैक्षणिक संस्थानों में प्रारंभ किया जाना चाहिए। समापन समारोह के अवसर पर विभिन्न पत्रिकाओं का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने अतिथियों को गायत्री महामंत्र लिखित चादर, स्मृति चिह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया। इस अवसर पर देसंविवि के कुलपति शरद पारधी सहित विभिन्न राज्यों से प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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Web Title-Dev Sanskriti Vishwavidyalaya: The power to change the destiny of the country lies in education: Governor
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