वाराणसी। देशभर में गोवर्धन पूजा के बाद रविवार को भैया दूज का पर्व मनाया गया। देश की धार्मिक नगरी काशी में भी इस पर्व को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला। यहां पर भैया दूज मनाने वाली महिलाओं ने इसको मनाने के पीछे की कहानी सुनाई। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भैया दूज के दिन बहनें व्रत रहने के साथ कथा सुनती हैं। कथा में बहन, भाई को श्राप देती हैं। उसके बाद बहन उस श्राप से मुक्ति की कामना भी करती हैं। कथा सुनने के बाद बहनें, भाई को मिठाई खिलाने के बाद व्रत को पूरा करती हैं और भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती है।
एक व्रती महिला दीप्ति श्रीवास्तव ने बताया कि बहनें अपनी भाई की लंबी आयु के लिए भैया दूज का व्रत रखती हैं। भैया दूज पर आधे दिन के लिए हम लोग व्रत रखते हैं, सुबह से ही पूजा के लिए खास तैयारी करते हैं। हम लोग गोबर से भगवान, गंगा जी, बिच्छू-सांप और भाई-बहन बनाते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने बताया कि भैया-दूज व्रत में दो कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा भाट-भाटिन की है, जिसमें भाटिन बहन रहती है और भाट उसका भाई रहता है। भाटिन अपने भाई की लंबी आयु के लिए उसको श्राप देती हैं, क्योंकि उसको पता चल जाता है कि उसका भाई मरने वाला रहता है, जिस दिन उसकी शादी रहती है। वो पूरे समय बैठकर अपने भाई को श्राप देती रहती है कि वो मरे नहीं और शादी हो जाए। भाटिन अपने भाई की लंबी आयु के लिए सात मन का तावा भी गिराती है, जिससे उसका भाई बच जाता है। इसलिए आज के दिन भाई की सलामती के लिए बहनें व्रत रहती हैं।
भैया दूज मनाने वाली एक अन्य महिला ने बताया यह बहन और भाइयों का त्यौहार है। इसमें कई तरह की कथाएं होती हैं। उन्होंने बताया कि कथा के अनुसार भाई के ऊपर सात मन का तवा रखा जाता है फिर बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करते हुए पूजा करती हैं।
--आईएएनएस
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