वाराणसी । ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में जिला अदालत ने अपना फैसला सुना दिया
है। वाराणसी के जिला जज ने अपना निर्णय देते हुए कहा कि उपरोक्त मुकदमा
न्यायालय में चलने योग्य है। यह निर्धारित करते हुए प्रतिवादी संख्या चार
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के द्वारा अदालत को दिए गए 7/11 के
प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया गया।
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जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में कोर्ट ने हिंदू पक्ष
की अपील स्वीकार कर ली है। कोर्ट में मुस्लिम पक्ष फैसले के दौरान मुस्लिम
पक्ष मौजूद नहीं था। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की दलीलें मानी हैं और मुस्लिम
पक्ष की आपत्तियों को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने माना कि यह मामला 1991 के
वर्शिप एक्ट के तहत नहीं आता। अब जिला कोर्ट 22 सितंबर को इस मामले में
अगली सुनवाई करेगी।
कोर्ट के फैसले के दौरान हिंदू पक्ष के वकील
हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन कोर्ट में मौजूद थे। हालांकि मुख्य
याचिकाकर्ता राखी सिंह मौजूद नहीं थीं। जज ने कुल 62 लोगों को कोर्ट रूम
में मौजूद रहने की इजाजत दी थी।
अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका
को खारिज कर दिया और कहा कि मुकदमा विचारणीय है। मामले की अगली सुनवाई 22
सितंबर को होगी। इस मामले में मुस्लिम पक्ष ने साल 1991 के वर्शिप एक्ट के
तहत दलील पेश कर परिसर में दर्शन-पूजन की अनुमति पर आपत्ति जताई थी। वहीं
हिंदू पक्ष का कहना था कि श्रंगार गौरी में दर्शन-पूजन की अनुमति दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की पोषणीयता पर वाराणसी की जिला अदालत को विचार
करने का निर्देश दिया था।
हिंदू पक्ष की याचिकाकर्ता मंजू व्यास ने
फैसले के बाद कहा कि "भारत आज खुश है। मेरे हिंदू भाइयों और बहनों को जश्न
मनाने के लिए दीया जलाना चाहिए।"
हिंदू पक्ष के वकील सोहनलाल आर्य
ने कोर्ट के बाहर कहा कि हर काशीवासी से निवेदन है कि शांति बनाए रखें।
अगली सुनवाई 22 को है और ये बहुत की खुशी की बात है और पूरा उत्तर प्रदेश
हर्षित है।
हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि आज कोर्ट
ने हमारे सारे फैसले मान लिए। मुस्लिम पक्ष की याचिका रिजेक्ट कर दी गई
है। अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अपना जवाब
दाखिल करने के लिए कहा है।
मीडिया से बातचीत करते हुए हिंदू पक्ष के
वकील विष्णु जैन ने कहा कि जिला अदालत ने मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाते
हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका 7 रूल 11 को खारिज कर दिया। यह एक बड़ी जीत है।
उन्होंने कहा कि कोर्ट ने यह माना है कि मामला सुनवाई योग्य है और इस
मामले में 1991 का वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता। अब इस मामले में 22 सितंबर
को अगली सुनवाई होगी। विष्णु जैन ने कहा कि इस मामले से जुड़ी पूरी लीगल
टीम काशी विश्वनाथ के दर्शन भी करने जाएगी।
इस मामले में 24 अगस्त
को हिंदू और मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो गई थी। इसके बाद वाराणसी के जिला
जज एके विश्वेश ने 12 सितंबर यानी आज तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पांच
हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद हिंदू देवी-देवताओं की
पूजा की अनुमति मांगी थी। इन महिलाओं ने खासतौर पर श्रृंगार गौरी की हर
दिन पूजा करने की इजाजत चाही थी। कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में सर्वे भी
किया गया था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के तहखाने
में शिवलिंग मौजूद है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था। 18
अगस्त 2021 को 5 महिलाएं ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी,
गणेश जी, हनुमान जी समेत परिसर में मौजूद अन्य देवताओं की रोजाना पूजा की
इजाजत मांगते हुए कोर्ट पहुंची थीं। अभी यहां साल में एक बार ही पूजा होती
है।
इन पांच याचिकाकर्ताओं का नेतृत्व दिल्ली की राखी सिंह कर रही
हैं, बाकी चार महिलाएं सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक
बनारस की हैं।
26 अप्रैल 2022 को वाराणसी सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी
मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के सत्यापन के लिए
वीडियोग्राफी और सर्वे का आदेश दिया था।
--आईएएनएस
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