वाराणसी । बच्चों के अपहरण की बढ़ती
घटनाओं को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अशोका
इंस्टीट्यूट के विद्यार्थियों ने स्मार्ट ट्रैकर यूनिफॉर्म बनाया है। यह
बच्चों को खोजने में मददगार साबित होगा। इस तकनीक से छोटे बच्चों का पता
लगाया जा सकेगा, उनकी लोकेशन की जानकारी मिलती रहेगी।
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बच्चा जैसे ही घर से बाहर निकलेगा, आपके फोन से जुड़ा यह डिवाइस
आपको सूचना देगा। इसकी रेंज अनलिमिटेड है, यह काफी किलोमीटर की दूरी से भी
बच्चे का पता लगा सकेगा। यह बच्चों के बॉडीगार्ड के रूप में कार्य करेगा।
उत्तर
प्रदेश के वाराणसी के अशोका इंस्टीट्यूट की बीटेक 4र्थ ईयर की तीन
छात्राओं ने इसे इजाद किया है। बीटेक अंतिम वर्ष की छात्रा आरती यादव,
पूजा, संगीता ने एक ऐसा स्मार्ट ट्रैकर यूनिफॉर्म बनाया है, जिसकी मदद से
बच्चों को खोजने और उनके लोकेशन पता करने में काफी सहायक होगा। तीनों
छात्राओं ने नैनो जीपीएस टेक्नोलॉजी से लैस यह यूनिफॉर्म तैयार किया है।
आरती
ने आईएएनएस से बताया कि लॉकडाउन के कारण किडनैपिंग की घटनाएं बढ़ी हैं।
इसे देखते हुए उनकी यूनीफार्म में जीपीएस का डिवाइस लगाया है। साथ ही
सिमकार्ड का क्लाड डाला है। उसमें सिमकार्ड पर कमांड डालने पर बच्चे की सही
लोकेशन मिल जाएगा।
उनका कहना है कि इससे न केवल बच्चों के गायब
होने के बाद उनके सही लोकेशन की जानकारी मिल सकेगी, बल्कि जो बच्चे ठीक से
बोल नहीं पाते हैं, ऐसे बच्चे अगर कहीं गुम हो जाते हैं तो बारकोड की मदद
से उनके माता-पिता को सूचित करने में काफी मदद मिलेगी। इसके साथ ही बच्चों
को अगवा करने वालों को पुलिस आसानी से पकड़ पाएगी।
उन्होंने कहा यह
डिवाइस बच्चों को ट्रेस कर लेगा। बार कोड लगाने वाले इससे बच्चे का पूरा
प्रोफाइल पता चल जाएगा। इससे उसे आसानी से घर भेजा जा सकेगा। इस डिवाइस को
बच्चों की पैंट में छिपाकर लगाया जाता है। डिवाइस में बैट्री लगी रहती है
जो 6 से 7 घंटे तक बड़े आराम से काम कर सकती है। इसके आलावा एक ट्रांसमीटर
और बजर भी लगा है। बच्चे जब घर से निकलेंगे तो ट्रांसमीटर के कारण रिसीवर
में आवाज आएगी, जिससे पता चलेगा कि बच्चा घर से बाहर निकला है। यह छोटे
बच्चों के अभिभवकों के लिए बहुत उपयोगी है। इसे बनाने में करीब 1 हजार
रुपये का खर्च आया है।
आरती ने बताया, "इस इनोवेशन के बारे में हम
लोगों ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्ष वर्धन जी को पत्र लिखकर
बताया है। उप्र सरकार से भी निवेदन करेंगे कि हमारे इस आविष्कार को देखें
और अपने यहां प्रयोग में लाएं, ताकि छोटे बच्चे और ज्यादा सुरक्षित हो
सकें। बच्चों के कपड़े बनाने वाली कंपनियां इस चिप को लगाकर अपने कपड़ों को
बाजार में उतार सकती हैं।"
रिसर्च एंड डेवलपमेंट अशोका इंस्टीट्यूट
के डीन-श्याम चौरसिया ने छात्राओं के इस प्रयास को सराहा और इस तरह की
मुहिम में आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि छात्राओं
के इस अनूठे प्रयास से छोटे बच्चों की सुरक्षा में बहुत आसानी होगी।
क्षेत्रीय
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र गोरखपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी
महादेव पांडेय ने बताया कि यह इनोवेशन छोटे बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है।
उनके साथ कोई घटना-दुर्घटना होने पर यह डिवाइस काफी कारगर साबित हो सकती
है। इसे प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
--आईएएनएस
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