वाराणसी। देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में भगवान सूर्य अपने द्वादश स्वरूपों में विराजमान है। इन द्वादश आदित्यों की वार्षिक यात्रा और इनके समीपवर्ती कुंड स्नान-दान की महत्ता काशीखंड में विस्तार से वर्णित है। काशी में मास के प्रत्येक रविवार को कुंड स्नान-दान और दर्शन-पूजन व यात्रा स्थान का अपना अलग-अलग महात्म्य भी वर्णित है।
काशी खंड के श्लोक सर्वेषां काशितीर्थानां लोलार्कः प्रथमं शिरः, ततोंऽगान्यन्यतीर्थानि तज्जलप्लावितानिहि...। यानी लोलार्क काशी के समस्त तीर्थों में प्रथम शिरोदेश भाग है और दूसरे तीर्थ अन्य अंगों के समान हैं, क्योंकि सभी तीर्थ असि के जल से धोए गए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
तोर्थान्तराणि सर्वाणि भूमोवलयगान्यपि। असि सम्भेद तीर्थस्य कलां नार्हन्ति षोडशीम्।। सर्वेषामेव तोर्थानां स्नानाद्यल्लभ्यते फलम्। तत्फलं सम्यगाप्येत नरंर्गङ्गासिसंगमे।। लोलार्ककरनिष्टप्ता असि धार विखण्डिता:। काश्यां दक्षिणदिग्भागे न विशेयुर्महामलाः इसका मतलब यह हैं कि भूमंडल के जितने भी दूसरे तीर्थ हैं, वे सब के सब इस असिसङ्गम तीर्थ के सोलह भाग में एक भाग के भी समान होने योग्य नहीं हैं और समग्र तीर्थों के स्नान करने से जो फल पाया जाता है।
इस गंगा और असि के संगम स्थल में नहाने से वही फल पूर्णरूप से मनुष्यों को प्राप्त होता है। क्योंकि लोलार्क की किरणों से संतप्त और असि की धारा से बहुत ही खंडित होने से बड़े-बड़े पाप काशी में दक्षिण ओर से कभी प्रवेश नहीं कर सकते। लोलार्क षष्ठी पर संतान प्राप्ति की कामना से 30 घंटों के इंतजार के बाद लोलार्क कुंड में स्नान आरंभ हो गया।
दिल्ली में आज से 1 जनवरी तक पटाखों पर सरकार ने लगाया बैन
बहराइच में बवाल: हाथों में लाठी-डंडे-तलवार लेकर सड़कों पर उतरे लोग,भारी संख्या में पुलिस बल तैनात, योगी बोले- आरोपियों को नहीं बख्शेंगे
खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर हरियाणा के कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने की इस्तीफे की पेशकश
Daily Horoscope