उन्होंने कहा कि मंदिर के गर्भगृह के दरवाजे से ही जलाभिषेक की
व्यवस्था की गई थी। इससे पूरे सावन भर काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले।
सभी श्रद्धालुओं ने बिना किसी परेशानी के आसानी से जलाभिषेक किया।वहीं,
प्रशासन को भी भीड़ से ज्यादा परेशानी नहीं हुई।
विशाल सिंह ने
बताया कि ऐसी ही व्यवस्था झारखंड के देवघर में स्थित बैजनाथ धाम में भी की
गई है। इसीलिए अब मंदिर प्रशासन ने तय किया है कि इस अस्थायी व्यवस्था को
स्थायी किया जाए। अब श्रद्घालुओं का गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
सिंह
ने कहा कि मंदिर में गर्भगृह के चार द्वार हैं। श्रद्धालुओं प्रवेश करने
और बाहर जाने के लिए दो द्वारा का ही इस्तेमाल करते है। भीड़ बढ़ने पर दबाव
काफी हो जाता है। वहीं चारों द्वार पर अर्घा लगाकर सीधे जलाभिषेक की
व्यवस्था होने से सभी का आराम रहेगा। यह निर्णय श्रद्धालुओं की सुविधा को
देखते हुए लिया गया है।
(आईएएनएस)
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