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9 डिग्री के एंगल पर झुका है काशी का प्राचीन रत्‍नेश्‍वर महादेव मंदिर, सावन में नहीं चढ़ा पाते जल

Kashi ancient Ratneshwar Mahadev temple is tilted at an angle of 9 degrees, water cannot be offered in Sawan - Varanasi News in Hindi

वाराणसी । भोलेनाथ के त्रिशूल पर टिकी काशी निराली है, निराली हैं वहां की गलियां और निराले हैं 'बाबा की नगरी' के मंदिर भी! काशी की धरती पर कदम रखते ही आपको कई ऐसी चीजें दिखेंगी, जिसे देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। किसी पतली सी गली में हर साल तिल के बराबर बढ़ते तिलभांडेश्वर विराजमान हैं, तो कहीं गंगा को स्पर्श करता 9 डिग्री के एंगल पर झुका प्राचीन रत्‍नेश्‍वर महादेव का मंदिर। विदेशी हों स्वदेशी सैलानी, अद्भुत नगरी को देखकर बोल पड़ते हैं ‘‘का बात हौ गुरु।’’
काशी के ज्योतिषाचार्य, यज्ञाचार्य एवं वैदिक कर्मकांडी पं. रत्नेश त्रिपाठी ने रत्नेश्वर महादेव के मंदिर के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने बताया, “भगवान शिव के मंदिर को देखकर आपको आश्चर्य होगा। 9 डिग्री के एंगल पर झुका रत्नेशवर मंदिर बनारस के 84 घाटों में से एक सिंधिया घाट पर स्थित है। गुजराती शैली में बने इस मंदिर में गजब की कलाकृति उत्कीर्ण है। नक्काशी के साथ इसके अनोखेपन को देखने के लिए दुनियाभर से लोग यहां आते हैं।”
उन्‍होंने यह भी जानकारी दी कि मंदिर का निर्माण कैसे हुआ। पं. त्रिपाठी ने बताया, "रानी अहिल्याबाई ने गंगा किनारे की यह जमीन अपनी दासी रत्नाबाई को दी थी, जिसके बाद रत्नाबाई ने इस मंदिर का निर्माण करने की योजना बनाई और उसे पूरा भी किया। रानी अहिल्याबाई ने केवल जमीन नहीं बल्कि मंदिर निर्माण के लिए उन्हें धन भी दिया था। निर्माण पूरा होने के बाद जब अहिल्याबाई वहां पहुंचीं तो वह मंदिर की खूबसूरती से मोहित हो गईं और दासी से बोलीं "मंदिर को कोई नाम देने की जरूरत नहीं है। लेकिन रत्नाबाई ने इसे अपने नाम से जोड़ते हुए रत्नेश्वर महादेव का नाम दे दिया। इससे अहिल्याबाई नाराज हो गईं और उन्होंने श्राप दे दिया और मंदिर झुक गया।”
काशी के वासी और श्रद्धालु सोनू अरोड़ा ने मंदिर के बारे में रोचक जानकारी दी। उन्होंने बताया, “हम लोग बाबा के दर्शन के लिए हमेशा आते हैं। लेकिन भोलेनाथ को प्रिय सावन के महीने में रत्नेश्वर महादेव में दर्शन- पूजन नहीं हो पाता। वजह है सावन के महीने में गंगा नदी का बढ़ता जलस्तर। गर्भगृह में गंगा का जल आ जाता है, जिससे बाबा के दर्शन संभव नहीं हो पाते। 12 महीनों में से लगभग 8 महीने तक यह मंदिर जल में डूबा रहता है, जिससे दर्शन संभव नहीं हो पाता है।"
रत्नेश्वर मंदिर को लेकर एक दंत कथा भी प्रचलित है, जिसके अनुसार एक व्यक्ति ने अपनी मां के ऋण से मुक्त होने के लिए मंदिर का निर्माण कराया था, लेकिन मां के ऋण से कभी मुक्त नहीं हुआ जा सकता इसलिए यह मंदिर टेढ़ा हो गया।
--आईएएनएस

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Web Title-Kashi ancient Ratneshwar Mahadev temple is tilted at an angle of 9 degrees, water cannot be offered in Sawan
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