वाराणसी। उत्तरप्रदेश के वाराणसी सीट से अपनी उम्मीदवारी का पर्चा खारिज होने के बाद बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। तेज बहादुर ने अपनी उम्मीदवारी रद्द किए जाने की चुनौती दी है। सपा (समाजवादी पार्टी) ने तेज बहादुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन चुनाव आयोग ने जरूरी दस्तावेजों के अभाव में उनका नामांकन खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण तेज बहादुर की पैरवी कर रहे हैं।
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बता दें कि साल 2016 में बीएसएफ में खाने की कथित खराब गुणवत्ता का एक वीडियो तेज बहादुर ने सोशल मीडिया पर डाला था जिसके बाद वह सुर्खियों में आए थे। तेज बहादुर की इस शिकायत की जांच हुई जिसके बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लडऩे का इरादा जताया था। सपा ने तेज बहादुर से पहले शालिनी यादव को वाराणसी सीट के लिए अपना उम्मदीवार घोषित किया था लेकिन शालिनी की जगह सपा के टिकट पर तेज बहादुर ने अपना नामांकन दाखिल किया। पर्चा भरने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर ने जरूरी दस्तावेजों के अभाव में तेज बहादुर का नामांकन खारिज कर दिया।
तेज बहादुर का नामांकन खारिज करते हुए रिटर्निंग ऑफिसर सुरेंद्र सिंह ने एक बयान में कहा, ‘तेज बहादुर ने कहा है कि सरकारी सेवा से उन्हें 19 अप्रैल 2017 को बर्खास्त किया गया। उनकी बर्खास्तगी के पांच साल पूरे नहीं हुए हैं। उनके पास यह प्रमाणपत्र भी नहीं है जो यह कहे कि भ्रष्टाचार अथवा देश सेवा के प्रति अनिष्ठा रखने के चलते उन्हें सेवा से बर्खास्त नहीं किया गया।
वह एक मई 2019 तक इस तरह का कोई भी प्रमाणपत्र पेश नहीं कर पाए हैं। इसलिए उनका नामांकन खारिज किया जाता है।’ अपना पर्चा खारिज होने के बाद तेज बहादुर ने कहा कि उन्होंने सभी जरूरी दस्तावेज जमा कराए हैं और साजिश के तहत उन्हें नोटिस मिला है। उन्होंने कहा, ‘मैंने सभी जरूरी दस्तावेज सौंपे हैं लेकिन यह सब मुझे चुनाव लडऩे से रोकने के लिए किया जा रहा है। यह मेरे खिलाफ एक साजिश है। मोदी जी डर गए हैं और यह सोच-समझकर किया गया है।’ वाराणसी में लोकसभा के अंतिम चरण में 19 मई को वोट डाले जाएंगे।
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