वाराणसी। दुनिया में कई कई लोग हैं जो मजाक करने में सबसे आगे रहते हैं
लेकिन कई लोगों को एहसास है कि वे मजाक कर रहे हैं वे कभी भी हमारे आगे हो
सकते हैं। ऐसी ही एक दिलचस्प दास्तां बताने जा रहे है जिसे सुनकर आप हैरान
हो जाएंगे। उत्तरप्रदेश के काशी के एक रिक्शा चालक ने संघर्ष की एक नई
मिसाल कायम की है। काशी में रिक्शा चलाने वाले नारायण जायसवाल ने लंबे
संघर्ष के बाद अपने बेटे को आईएएस बनाया था, उनके बेटे की शादी एक आईपीएस
अफसर से हुई है। दोनों बेटा बहू गोवा में पोस्टेड है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मीडिया से बातचीत
करते हुए नारायण बताते हैं कि उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। वह अलईपुरा
में किराए के मकान में रहते थे। नारायण के पास 35 रिक्शे थे, जिन्हें वह
किराए पर चलवाते थे। लेकिन पत्नी इंदु को ब्रेन हैमरेज होने के बाद उसके
इलाज के लिए 20 से ज्यादा रिक्शे बेचने पड़े। कुछ दिन बाद उन्की पत्नी की
मौत हो गई। तब उनका बेटा गोविंद सातवीं में था।
गरीबी का आलम ऐसा था कि
उनके परिवार को दो वक्त की रोटी खाना भी मुश्किल से मिलता था। उन दिनों को
याद करते हुए नारायण कहते है कि मैं खुद गोविंद को रिक्शे पर बैठाकर स्कूल
छोडऩे जाता था। हमें देखकर स्कूल के बच्चे मेरे बेटे को ताने देते थे, वे
कहते थे कि आ गया रिक्शेवाले का बेटा। मैं जब लोगों को बताता कि मैं अपने
बेटे को आइएएस बनाऊंगा तो सब हमारा मजाक बनाते थे।
नारायण बताते है कि
बेटियों की शादी में बाकी रिक्शे भी बिक गए। बाद में उनके पास सिर्फ एक
रिक्शा बचा था, जिससे चलाकर वह अपना घर चलाता था। पैसे की तंगी के कारण
गोविंद सेकंड हैंड बुक्स से पढ़ता था।
गोविंद का आईएएस बनने का सफर...
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