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धोपाप धाम! जहां भगवान श्रीराम ने धोए थे अपने पाप...

असगर नकी, सुल्तानपुर। यूपी के सुल्तानपुर में वाराणसी-लखनऊ नेशनल हाइवे पर स्थित कोतवाली लम्भुआ से 8 किलोमीटर दूर गोमती नदी के किनारे स्थापित पर्यटक एवं धार्मिक स्थल धोपाप धाम में हर वर्ष गंगा दशहरे पर पचासों हज़ार श्रध्दालुओं की भीड़ जमा होती है। बताया जाता है कि गंगा दहशरा के इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने रावण वध के उपरान्त अपने ऊपर लगे ब्रह्म-हत्या के पाप को यहां धोया था। इसीलिए तब से आजतक हर गंगा दहशरा पर यहां मेला लगता है और हजारों की संख्या में श्रध्दालु गोमती में स्नान कर मोक्ष की प्राप्ति करते हैं। लेकिन इतने बड़े धार्मिक स्थल पर प्रशासनिक लापरवाही के चलते समस्याओं का अम्बार है।

क्या महत्व है धोपाप धाम का
धोपाप धाम का महत्व क्यों है? इस पर अब थोड़ा विस्तार से चर्चा करते हैं। आपको बता दें कि गोमती के तट पर बसे धोपाप धाम में भगवान राम का विशाल मन्दिर है जिसकी प्राचीनता का अन्दाज़ा लगा पाना मुश्किल है। धोपाप धाम की महिमा आज तक जनसमूह में कायम है पूर्व की तरह आज भी लोगों की आस्था उतनी ही गहरी और उतनी ही प्रबल है। लोगों का मानना है कि यहां एक बार जिसके पांव भी पड़ जाएं उसके जन्म-जन्मान्तर के सारे पाप धुल जाते हैं।

धोपाप धाम का नाम धोपाप क्यों पड़ा
धोपाप धाम का नाम धोपाप क्यों पड़ा इसके पीछे एक गहरा रहस्य है। धोपाप धाम का अर्थ है एक ऐसी पावन स्थली जहां सभी पापों का नाश हो जाता है। धोपाप धाम का वर्णन पद्म पुराण (पंकज पुराण) में किया गया है। पद्म पुराण (पंकज पुराण) में कहा गया है कि जब त्रेता युग में माता सीता का हरण करने वाले लंकापति रावण का वध करके भगवान श्री राम अयोध्या वापस आए तो पूरे अवध में बड़ी धूम-धाम से खुशियां मनायी गयीं। लोग बहुत खुश थे क्योंकि लोगों में एक ओर भगवान राम के अवध वापस आने की खुशी थी तो दूसरी ओर आतताई रावण के वध से सम्पूर्ण धरती को उसके अत्याचारों से मुक्ति मिली थी। लेकिन दूसरी ओर पूरे आर्यावर्त के ब्राह्मण और संत समाज में रावण वध का दुख भी व्याप्त था। क्योंकि उस समय सम्पूर्ण धरती पर रावण जैसा परम ज्ञानी पंडित दूसरा कोई न था। और यह बात अयोध्या के कुल गुरू वशिष्ठ जी ने भी भगवान राम को समझाया कि हे राम आपने सहज ही रावण का वध करके सम्पूर्ण धरती को आशुरी शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति दिलाई है परन्तु इस बात को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि रावण जैसा वेद-वेदान्त का ज्ञाता सम्पूर्ण धरती पर दूसरा कोई न था और वह परम तपस्वी ब्राह्मण विश्वशर्वा का पुत्र भी था। अतएव आप से जाने अनजाने ही सही ब्राह्मण हत्या का पाप अवश्य हुआ है। यह बात जानकर भगवान राम को अत्याधिक ग्लानि हुई।

पद्म पुराण (पंकज पुराण) के अनुसार रावण वध के बाद भगवान राम पर लगे ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए गुरु वशिष्ठ ने भगवान को गोमती के पावन जल में डुबकी लगाने के लिए इस पुण्य स्थल का सुझाव दिया। ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यहां पर पर भगवान राम ने स्नान कर अपने ऊपर लगे ब्रह्महत्या के पाप को धोया था। तब से यह पावन स्थली धोपाप धाम के नाम से विख्यात हो गई। और तब से ही लेकर आज तक ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशहरा तिथि पर विशाल जनसमूह धोपाप धाम में आकर गोमती की पावन धारा में अपने पापों की तिलांजुलि देता है।

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Web Title-dhopap dham in sultanpur
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