सोनभद्र। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) द्वारा सोनभद्र हत्याकांड (Sonbhadra Killings) मामले की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति की जांच अटक गई है। जिला राजस्व कार्यालय से 1955 के महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हो गए हैं। जिला अधिकारी अंकित अग्रवाल ने पुष्टि करते हुए कहा कि दस्तावेज नहीं मिले हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व विभाग) की अगुआई वाले पैनल को यह जांच करनी थी कि कैसे तीन गांवों- उभा, सपाई और मूर्तिया में ग्राम सभा की जमीन एक समिति के नाम कर दी गई थी और इसके बाद ग्राम प्रधान ने इस पर कब्जा कर लिया था। निचली अदालत में तीनों गांवों के गोंड आदिवासियों की कानूनी लड़ाई लडऩे वाले अधिवक्ता नित्यानंद द्विवेदी ने कहा कि जमींदारी प्रथा के अंत के बाद बधार के राजा आनंद ब्रह्म साहा की 600 बीघा जमीन को राजस्व विभाग में बंजर घोषित कर दिया गया और इसे ग्राम सभा की भूमि के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया जिसे खेती करने के लिए गोंड आदिवासियों को दिया गया।
साल 1952 में आईएएस अधिकारी प्रभात कुमार मिश्रा मिर्जापुर में तैनात थे। उन्होंने एक आदर्श सहकारी समिति लिमिटेड नाम की एक समिति बनाई, और बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी अपने ससुर महेश्वरी प्रसाद सिन्हा को इसका अध्यक्ष तथा अपनी पत्नी आशा मिश्रा को पदाधिकारी बनाया।
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