उल्लेखनीय है कि आईपीसी की धारा 376 दुष्कर्म (रेप) के मामलों में लगाई
जाती है और पीडि़ता ने बार-बार अपने साथ दुष्कर्म करने का आरोप स्वामी पर
लगाया है। फिर सवाल उठता है कि यह धारा क्यों और किस तरह एजेंसी के लिए
नुकसानदेह और आरोपी के लिए लाभदायक साबित होती? न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा
कि मुलजिम पर धारा 376 लगाते ही जांच एजेंसी हार जाती।
कानूनी रूप से आरोपी
(स्वामी चिन्मयानंद) पक्ष जीत जाता। या यूं कहिए कि इस मामले में आरोपी पर
आज सीधे-सीधे दुष्कर्म की धारा 376 न लगाना और उसके बदले 376-सी लगाना आने
वाले कल के लिए पीडि़त पक्ष (लडक़ी) और जांच करने वाली एजेंसी के लिए
लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
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