रामपुर। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के समर्थन में रामपुर पहुंचे। इस दौरान मौलानाओं और धर्मगुरुओं ने उनका विरोध किया। धर्मगुरु मोहब्बे अली ने मुसलमानों से अखिलेश यादव से न मिलने की अपील भी की। तंजीम अवामे अहले सुन्नत के अध्यक्ष मौलाना मोहब्बे अली ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, "सपा के शासन में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खां ने यहां अघोषित आपातकाल लगा कर मुसलमानों पर अंग्रेजों से भी ज्यादा अत्याचार किए थे। उन्हें उसी का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में अब मुसलमानों को आजम का पक्ष लेने आए अखिलेश यादव से नहीं मिलना चाहिए।" ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा, "धर्मगुरु उस वक्त को याद करें, जब आजम खां ने यहां के मुसलमानों की दुकानें, मकान और कारोबारों को नेस्तनाबूद कर दिया था। इसके अलावा उन्हें फर्जी मुकदमों में जेल भी भिजवाया था। ऐसे में मुसलमान उन पर जुल्म ढाने वाले के हिमायती अखिलेश यादव से न मिलें तो ही अच्छा है।"
मौलाना ने कहा, "मुसलमान तालीम का नहीं बल्कि यूनिवर्सिटी को निजी संपत्ति बनाने का विरोधी है। यहां के धर्मगुरुओं से निवदेन है कि उनका पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने का जो कार्यक्रम है, उसे स्थगित कर दें। आजम खां से नहीं, बल्कि अल्लाह से डरें।"
उन्होंने कहा, "मुसलमानों की तरक्की के लिए केंद्र सरकार से जो धन मिला, आजम वह सारी धनराशि भी हड़प गए। मदरसा आलिया को तबाह कर उस पर अवैध कब्जा कर लिया। उसकी लाइब्रेरी की हजारों किताबों को चुराकर वह अपनी यूनिवर्सिटी में ले गए। आजम मुस्लिम कौम के धुर विरोधी हैं। यहां पर उनके जुल्मों की जद से धार्मिक स्थल भी न बच सके थे। उन्होंने कब्रिस्तानों को खुदवा कर सड़कें निकलवाईं। कई मजारों को ढहवाया है।"
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर से सांसद आजम खान और उनके परिवार के खिलाफ ताबड़तोड़ मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। इन मामलों में जमीन पर अवैध कब्जे के साथ भैंस चोरी, बकरी चोरी तक के मामले हैं।
--आईएएनएस
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