रायबरेली। उमरामऊ निवासी आशीष सिंह कला पर एक किताब लिखने के बाद अब एक कला प्रदर्शनी के लिए सलाहकार का काम कर रहे हैं। दिल्ली में "द ड्रिफ्टिंग कैनवास" के नाम से हो रही यह प्रदर्शनी भारत में इस रूप में पहली बार हो रही है। इससे पहले यह प्रदर्शनी बारह देशों में आयोजित की जा चुकी है। इसमें दुनिया के 11 महान कलाकारों जैसे वैन-गॉग, मोने, हेनरी रुशो की पेंटिंग्स को मल्टीमीडिया रूप में 13 विशालकाय पर्दों पर दिखाया जा रहा है। ये पर्दे सात हज़ार वर्ग मीटर के एक हॉल में चारों तरफ लगे हैं। यहाँ आप प्रवेश करके चाहे जिस दिशा में घूमे आपको सुखद अनुभव देता संगीत और अप्रतिम पेंटिंग्स दिखाई देंगी। इसके साथ ही भारत के चुनिंदा 41 कलाकारों जैसे एस.के. साहनी, प्रशांत कलिता, सुकान्त खुराना, कंचन चंदर, अर्पणा कौर, आनंदमॉय बनर्जी की पेंटिंग्स भी प्रदर्शनी में लगायी जा रही हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आशीष के मित्र अक्षत सिन्हा भारतीय और अंतर्राष्ट्रिय कला और कलाकारों के काम को प्रचारित-प्रसारित करने का काम करते हैं। अक्षत इस प्रदर्शनी के भारतीय भाग "देसी कैनवास" के संचालक हैं। दिल्ली-निवासी अक्षत ने मॉस्को, रूस से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई की और दस साल काम करने के बाद कला की ओर रुख किया। आशीष का कहना है कि समाज के विकास में कला की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कला ने हर देश और उसके मनुष्यों की परिस्थितियों को न केवल प्रदर्शित किया है बल्कि समाज को सोचने की एक दिशा भी दी है।
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