पीलीभीत। जनपद में अचानक गला घोंटू महामारी फैलने से एक ही गांव में
लगभग एक दर्जन के करीब दुधारू पशुओं पर काल बन कर टूट पड़ी। इसके बाद भी
पशुपालन विभाग में कहीं गंभीर नहीं दिख रहा है। सीबीओ ने गला घोंटू होने की
पुष्टि तो की है,मगर सारा दोष ग्रामीणों और थैला छाप डॉक्टरों पर मढ़ दिया
है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
एक ही गाँव में 48
घंटों के भीतर करीब दर्जन भर पशुओं की मौत इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई
है। लाखों का नुकसान देखकर किसानों के घरों में मातम छा गया हैं। वहीं पशु
चिकित्सा विभाग अभी पूरी तरीके से नियमित टीकाकरण भी नहीं करा सका है।
पीलीभीत
सदर तहसील का गांव मुड़िया रामकिशन गाँव दुग्ध उत्पादन के लिए जिले में
जाना जाता है। इस छोटे से गाँव में 500 से ज्यादा दुधारू पशु है। इस गाँव
में मुख्यत आजीवका का साधन भी इन्हीं पशुओं के सहारे है।
पीड़ित
किसान लीलाधर ने बताया कि पिछले 48 घंटे यहाँ के पशुओं पर कहर बनकर टूटे
है। गाँव में इन घंटों में दर्जन भर से ज्यादा पशु रहस्यमयी बीमारी की
भेंट चढ़ गए है। लीलाधर के अकेले ही चार पशुओं की मौत हो गई है| स्थानीय
किसान प्रदीप ने बताया कि अचानक आये तेज बुखार व पेट फूलने लगता है उसके
बाद पशु चारा खाना छोड़ देता है जिसके कुछ देर बाद पशु की मौत हो रही है।
गाँव में हर तरफ दुधारू पशुओं के शवों को देखा जा सकता है।
पशुओं की मौत के रूप में हो रहे किसानों को नुकसान के चलते गाँव में मातम पसर गया है।
मुख्य
पशु चिकित्साधिेकारी डॉक्टर ज्ञान प्रकाश इन जानवरों की इन मौतों के मामले
में ग्रामीणों को ही कटघरें में खड़ा कर रहे है। सीवीओं की माने तो
जानवरों की मौत झोलाछाप डाक्टरों के इलाज की वजह से हो रही हैं। हालांकि
सीवीओ अभी तक जिले में किसी भी झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ कोई करवाई नहीं कर
सके हैं।
सरकार भले ही
दुग्ध क्रान्ति के दावे कर रही हो। लेकिन पशु चिकित्सा विभाग सरकार की मंशा
में पलीता लगा रहा है और उसका खामियाजा सफेद क्रन्ति में बढ़-चढ़ कर
हिस्सेदारी करने वाले किसान भुगत रहे है।
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