पीलीभीत । पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) से चार बाघ शावकों को उनकी मां के मरने के लगभग 12 दिन बाद आखिरकार बचा लिया गया है। 14 मार्च को एक फील्ड फॉरेस्ट टीम को एक बाघिन का दो दिन पुराना शव और उसके आसपास चार शावक मिले थे। लेकिन इससे पहले कि शावकों को रेस्क्यू किया जाता, वे भटक गए और वन अधिकारियों को चिंता थी कि शावक अन्य मांसाहारी जानवर के शिकार हो सकते हैं या भूख से दम तोड़ सकते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जब एक बाघ शावक आठ महीने का होता है तब वह अपने बलबूते सर्वाइव कर सकता है। इससे पहले इसे अपनी मां की जरूरत होती है और बिना खाए-पिए केवल आठ दिन तक जिंदा रह सकता है।
एक तलाशी अभियान शुरू किया गया, जिसमें उस क्षेत्र के चारों ओर 25 कैमरा ट्रैप लगाए गए थे जहां शव मिला था लेकिन शावक नहीं मिले।
ऑपरेशन 18 मार्च को छोड़ दिया गया था।
पीटीआर के उप निदेशक नवीन खंडेलवाल ने कहा, "एक वन गश्ती दल ने बुधवार को बाघ के शावकों के उस स्थान से लगभग एक किलोमीटर दूर पैरों के निशान देखे, जहां उनकी मां की मृत्यु हो गई थी। कुछ घंटों की खोज के बाद, हमने उन्हें जीवित और ठीक हालत में पाया।"
रेस्क्यू के बाद, उन्हें आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स और बकरी का दूध दिया गया।
बेहतर देखभाल के लिए गुरुवार को शावकों को लखनऊ चिड़ियाघर भेज दिया गया।
--आईएएनएस
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