नोएडा । नोएडा के थाना सेक्टर-63 पुलिस ने विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए 6 महिला आरोपियों समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से घटना में इस्तेमाल 24 लैपटॉप, टैब, कंप्यूटर, स्वाईप मशीन, 3 पेमेंट क्यूआर कोड व 10 मोबाइल फोन बरामद हुए हैं। इस फर्जी कॉल सेंटर को पति पत्नी मिलकर चला रहे थे। बियोंड स्पार्क ओवरसीज नाम की यह कंपनी विदेश (कनाडा, सर्बिया आदि) में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रही थी।
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पुलिस ने बताया कि थाना सेक्टर-63, नोएडा की साइबर हेल्प डेस्क पर कुछ समय से सूचना प्राप्त हो रही थी कि थाना इलाके के ई-ब्लॉक में बियोंड स्पार्क ओवरसीज नाम की एक कंपनी विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर आवेदकों के साथ धोखाधड़ी कर रही है। पुलिस के पास केरल समेत देश भर से कई पीड़ित आए थे। पुलिस ने सभी की शिकायत के आधार पर कंपनी में जाकर जांच की, तो वहां मौजूद सोनू कुमार ने बताया कि वह कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत है और डायरेक्टर पंकज व मनप्रीत कौर के कहने पर फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि से ऐसे लोगों की डिटेल निकालते हैं, जो विदेश में जाकर नौकरी करना चाहते हैं।
उसके बाद कंपनी की सेल्स टीम में बैठे लोग कॉल व व्हाट्सएप चेटिंग के माध्यम से विभिन्न देशों जैसे कनाडा, सर्बिया आदि में स्टोर कीपर, स्टोर सुपरवाइजर, एडमिन आदि पदों पर नौकरी दिलाने की बात कहकर आवेदक को प्रलोभित करते है। पुलिस को मौके से ही एक कंप्यूटर के जरिए करीब 7 से 8 लोगो से ठगी के सबूत मिले। इसके अलावा पुलिस जब कार्रवाई कर रही थी, तभी एक पीड़ित वहां पहुंच गया।
डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि लोगों का डाटा फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि से निकालकर उन्हे महत्वपूर्ण पदों (स्टोर कीपर, स्टोर सुपरवाइजर, एडमिन आदि) पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर उनसे लाखों रुपये ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए नौ आरोपियों (3 पुरुष और 6 महिला), जिनमें कंपनी का डायरेक्टर पंकज कुमार और उसकी पत्नी मनप्रीत कौर भी शामिल हैं, को गिरफ्तार किया गया है।
डीसीपी के मुताबिक गिरफ्तार अभियुक्त फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि से ऐसे लोगो की डिटेल निकाल लेते थे, जो विदेश में जाकर नौकरी करना चाहते है। उसके बाद इनकी कंपनी की सेल्स टीम में कार्य करने वाले अन्य कर्मचारी द्वारा आवेदक को कॉल व व्हाट्सएप चैटिंग के माध्यम से कनाडा के अल्बर्टा, एडमंटन में स्टोर कीपर, स्टोर सुपरवाइजर एवं एडमिन आदि पदों पर वर्क वीजा के माध्यम से नौकरी दिलवाने के नाम पर प्रलोभित किया जाता था और उसे हर महीने 1.5 से 2 लाख रुपये सैलरी की बात कही जाती थी, इस पर आवेदक तैयार हो जाता था।
ये लोग आवेदक से स्टोर कीपर के नाम पर 5 लाख रुपये, स्टोर सुपरवाइजर के नाम पर 15 लाख रुपये तथा इसी प्रकार से अन्य पदों के अनुसार पैसे मांगे जाते थे। इसमें कुल रकम का 10 प्रतिशत आवेदक से फाइल आगे बढ़ाने के लिये तुरंत ले लिया जाता था और बाकी उसे नौकरी पर जाने के बाद देने के लिये बोला जाता था। पैसे लेने के बाद आवेदक को इन लोगों पर शक न हो, इसलिए यह लोग उससे कागजात जैसे पासपोर्ट, आधार कार्ड आदि भेजने के लिये बोलते थे और फिर कागजात में कमी निकालकर उसको घुमाना शुरू कर देते थे।
इन लोगों द्वारा ऐसे आवेदकों को सेलेक्ट किया जाता था, जो दूर-दराज (गैर राज्य) के होते थे, जिससे वह इनके ऑफिस में न आ सके। आवेदक का फोन आने पर उनको आगे का समय बताकर टालते रहते थे। इससे कई आवेदक थक-हार कर अपना पैसा वापस मांगना बंद कर देते थे।
--आईएएनएस
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