मथुरा । अयोध्या में राममंदिर के
बाद अब मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला भी अदालत पहुंच गया। यह
मुकदमा भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, रंजना अग्निहोत्री और अन्य भक्तों की ओर
से दायर किया गया है।
श्रीकृष्ण विराजमान नाम से मथुरा की अदालत में एक सिविल मुकदमा दायर कर
13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मांगा गया है, इसके साथ ही शाही ईदगाह
मस्जिद को हटाने की अपील की गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि
को लेकर कोर्ट में सिविल सूट दायर किया गया है। मामला सुप्रीम कोर्ट के
वकील विष्णु शंकर जैन के साथ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना
अग्निहोत्री ने दायर किया है। इनकी याचिका में जमीन को लेकर 1968 के समझौते
को गलत बताया गया है। विष्णु शंकर जैन के साथ ही रंजना अग्निहोत्री
आयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि वाले केस से भी जुड़े हैं। इस याचिका के
माध्यम से 13.37 एकड़ की कृष्ण जन्मभूमि का स्वामित्व मांगा है। जिस पर
मुगलकाल में कब्जा कर शाही ईदगाह बना दी गई थी। शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने
की मांग की गई है।
जन्माष्टमी से पहले मथुरा पहुंचने पर श्रीराम
जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास ने कहा था
कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के लिए मथुरा में कोई आंदोलन नहीं किया जाएगा। यहां
मंदिर-मस्जिद का कोई विवाद नहीं है। हालांकि अब कृष्ण जन्मभूमि का मामला
अदालत में पहुंच गया है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मथुरा की
ईदगाह मस्जिद और काशी की ज्ञानवापी मस्जिद को हटाने को अपने एजेंडा में
शामिल किया है। संतों ने काशी-मथुरा के लिए लामबंदी शुरू भी कर दी है।
अखाड़ा परिषद ने प्रयागराज की अपनी बैठक में काशी और मथुरा के मंदिरों को
मुक्त कराने का निर्णय लिया था। मथुरा में जिस भूमि पर ईदगाह मस्जिद है, उस
भूमि को श्रीकृष्ण जन्मभूमि कहा जाता है।
अधिवक्ता रंजना
अग्निहोत्री ने बताया, "अयोध्या का केस हम लोगों ने लड़ा, उसे जनता को सौंप
दिया गया है। इंतजार तो नहीं किया जा सकता है। श्रीकृष्ण की मुख्य
जन्मभूमि और जो इटेलियन ट्रैवलर ने अपने एकांउट में मेंशन किया है, उसके
नक्शे के हिसाब से मुकदमे को सिविल में डाला गया है। मुकदमा हमारा एडमिट हो
गया है, किसी को कोई आपत्ति नहीं लगी है। ऑर्डर कॉपी सोमवार को आ जाएगी।"
ज्ञात
हो कि इसके पहले मथुरा के सिविल जज की अदालत में एक और मामला दाखिल हुआ
था, जिसे श्रीकृष्ण जन्म सेवा संस्थान और ट्रस्ट के बीच समझौते के आधार पर
बंद कर दिया गया। 20 जुलाई 1973 को इस संबंध में अदालत ने एक निर्णय दिया
था। अभी के विवाद में अदालत के उस फैसले को रद्द करने की मांग की गई है।
इसके साथ ही यह भी मांग की गई है कि विवादित स्थल को बाल श्रीकृष्ण का
जन्मस्थान घोषित किया जाए।
--आईएएनएस
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