मथुरा। मथुरा की एक स्थानीय अदालत ने मलयाली पत्रकार सिद्दीकी कप्पन सहित आठ पीएफआई कार्यकर्ताओं के चल रहे मामले को लखनऊ की एक विशेष एनआईए अदालत में स्थानांतरित कर दिया है। कप्पन और तीन अन्य, अतीक-उर-रहमान, मसूद अहमद और आलम पर राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के आरोप में मामला दर्ज किया गया था, जब उन्होंने 19 वर्षीय दलित दुष्कर्म पीड़िता के परिवार से मिलने का प्रयास किया था। वहीं चार लोगों ने हाथरस में भी दंगे भड़काने की कोशिश की थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चार अन्य लोगों में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के महासचिव, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की छात्र शाखा असद बदरुद्दीन, फिरोज खान और दानिश शामिल हैं। इन सभी पर हाथरस में जातिगत दंगे भड़काने के लिए विदेश से चंदा लेने का आरोप है।
अतिरिक्त और सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार पांडे की अदालत ने विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा दायर एक आवेदन को स्वीकार करने के बाद मामले को स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जिसमें कहा गया है कि सरकार ने एनआईए अधिनियम की धारा 22 के तहत राज्य मुख्यालय में एक विशेष अदालत का गठन किया है।
मामले की अगली सुनवाई अब 7 जनवरी को लखनऊ में होगी।
मथुरा कोर्ट में पीएफआई कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील मधुवन दत्त चतुवेर्दी ने कहा कि वह उच्च न्यायालय में अदालत के आदेश को चुनौती देंगे।
अदालत में स्थानांतरण के लिए एसटीएफ की याचिका का विरोध करते हुए बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि विशेष एनआईए अदालत केवल उन्हीं मामलों की सुनवाई कर सकती है जिनकी जांच एनआईए अधिनियम की धारा 6 के अनुपालन के तहत की गई थी। हालांकि, इस मामले में राज्य पुलिस द्वारा ऐसी किसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ की पांच सदस्यीय टीम ने इस साल अप्रैल में मथुरा की अदालत में पीएफआई के आठ सदस्यों के खिलाफ पांच हजार पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था।
--आईएएनएस
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