लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को चीनी मिलों की अन्य संपत्ति जो बकाया
चुकाने में विफल रही हैं, उन्हें तुरंत बेच कर गन्ना उत्पादकों का बकाया
रिकवर करने का निर्देश दिया है।
उत्तर प्रदेश के 50 विधानसभा क्षेत्रों के किसानों का सभी निजी क्षेत्र में
पिछले पेराई सत्र से लगभग 20 चीनी मिलों से अभी भी 1,600 करोड़ रुपये से
अधिक बकाया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बकाया का भुगतान न करने से विधानसभा चुनावों में भाजपा पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
इनमें
से अधिकांश मिलें पश्चिम यूपी में स्थित हैं, राज्य के चीनी कटोरे,
लखीमपुर खीरी, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, सहारनपुर, बागपत, मेरठ,
हापुड़ और बुलंदशहर सहित अन्य जिले हैं।
इस क्षेत्र में चीनी राजनीति का केंद्र बिंदु बनी हुई है।
गन्ना
विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, राज्य में 119 चीनी मिलें हैं, जिनमें
लगभग 45 लाख गन्ना उत्पादक अपनी उपज की आपूर्ति करते हैं।
प्रत्येक मिल से औसतन कम से कम 40,000 किसान जुड़े हुए हैं।
डिफॉल्टर
मिलों का स्वामित्व चार समूहों के पास है। उन्होंने कहा कि पिछले साल के
पेराई सत्र से उनके संबंधित क्षेत्रों के गन्ना उत्पादकों का न केवल कुल
1,600 करोड़ रुपये बकाया है, बल्कि मौजूदा सीजन के लिए एक पैसा भी नहीं
दिया है।
जैसा कि अपेक्षित था, विपक्षी दल इन गन्ना उत्पादकों के
मूड को भुनाने के लिए तैयार हैं, जिनमें से कई ने कृषि कानूनों के खिलाफ
आंदोलन में भाग लिया था।
आरएलडी के वरिष्ठ नेता प्रवीण देशवाल ने कहा कि ये किसान आगामी चुनावों में मुंहतोड़ जवाब देंगे।
हालांकि,
उत्तर प्रदेश के मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता भूपेंद्र सिंह ने कहा कि यह
केवल भाजपा सरकार है जिसने समय पर गन्ना भुगतान सुनिश्चित किया और किसानों
की आय को दोगुना करने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं।
--आईएएनएस
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