आपको बता दें कि यह मामला ऊर्जा विभाग में कर्मचारी भविष्य निधि के करीब
2600 करोड़ रुपए के गलत तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल में निवेश किए जाने
के मामले से जुड़ा हुआ है। ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में पता चला है कि
पीएफ के निवेश के लिए कोई टेंडर नहीं हुआ था। मात्र कोटेशन के माध्यम से
डीएचएफएल में 2268 करोड़ रुपए लगा दिए गए थे।
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