छात्र ने आयु सीमा का निर्धारण अकाद्मिक सत्र से करने की मांग की
थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया था कि लिंगदोह कमेटी के दिशा-निर्देशों
के तहत राज्य सरकार ने लखनऊ विश्वविद्यालय को अभी तक श्रेणीबद्घ नहीं किया
है। इनके मद्देनजर कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2012 को अंतरिम आदेश पारित करते हुए
15 अक्टूबर 2012 को होने वाले चुनाव पर रोक लगा दी थी। वह रोक चलती रही। अब
याचिका वापस लेने के चलते रोक स्वत: समाप्त हो गई है।
राज्य
विश्वविद्यालय एबीवीपी प्रमुख विवेक सिंह ने बताया कि विवि में छात्रसंघ
चुनाव होना बहुत जरूरी है। यहां लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार व छात्रों
के शोषण पर भी अंकुश लगेगा। अब फिर से विवि राजनीति की नर्सरी चैतन्य होगी।
विश्वविद्यालय के कुलपति एस.के शुक्ला ने कहा कि कोर्ट के निर्णय का सम्मान है। छात्रों से ही विश्वविद्यालय है।
विवि
के छात्रसंघ से जुड़े एक वरिष्ठ छात्रनेता ने बताया कि अंतिम बार वर्ष
2005 में छात्रसंघ चुनाव हुआ था। 2001 और 2002 में लविवि में चुनाव नहीं
हुए। साल 1994 में अरविन्द सिंह गोप, 1995 में ओंकार भारती, 1996 में
प्रमोद तिवारी, 1997 में अरविन्द कुमार सिंह, 1998 में संतोष सिंह, 1999
में दया शंकर सिंह 2000 शैलेश कुमार सिंह शैलू, 2003 अभिषेक सिंह, 2004,
2005 में राजपाल कश्यप, 2005 में बजरंगी सिंह बज्जू अध्यक्ष रहे।
(IANS)
लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण - त्रिपुरा, सिक्किम में 80 फीसदी से ज्यादा मतदान, बिहार में 50 फीसदी से कम मतदान
राहुल की कप्तानी पारी, लखनऊ ने सीएसके को आठ विकेट से हराया
केन्या में भारी बारिश से 32 लोगों की मौत
Daily Horoscope