लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के खाली किए सरकारी आवास की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की जाएगी। इसके लिए राज्य संपत्ति विभाग को पत्र लिखकर कमेटी के माध्यम से इसकी जांच कराने की संस्तुति की गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अखिलेश यादव को बतौर पूर्व मुख्यमंत्री, विक्रमादित्य मार्ग का एक सरकारी आवास आवंटित था। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर उन्हें इसे खाली करना पड़ा। आवास खाली किए जाते समय इसकी दीवारों में तोडफ़ोड़ की गई थी। शुरुआती रिपोर्ट में इस तोडफ़ोड़ से हुए मामूली नुकसान की बात कही गई थी। शासन ने यह रिपोर्ट मंजूर नहीं की।
अखिलेश ने सफाई दी थी कि उन्होंने अपने खर्च से दीवारों में जो टाइल्स, एसी और नल की जो टोटियां लगवाई थी, उसे उनके कहने पर निकाला गया। यह अनुचित नहीं है, अगर सरकार को वे चीजें चाहिए, तो वह वापस करने को तैयार हैं। पिछले महीने वह नल की टोटी हाथ में लेकर मीडिया से मुखातिब हुए थे।
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मुख्यालय से राज्य संपत्ति अधिकारी को भेजे गए पत्र में तोडफ़ोड़ की जांच विशेषज्ञों की कमेटी से कराने की संस्तुति की गई है। पत्र में कहा गया है कि कमेटी में पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता (भवन) के साथ-साथ विभाग के चीफ आर्किटेक्ट, एक अधीक्षण अभियंता और उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के एमडी को भी शामिल किया जाए।
इस मामले में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) भी दायर की गई है। सूत्रों के अनुसार, शासन को भेजी गई शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में एसी निकालने के दौरान दीवारों में तोडफ़ोड़ की गई थी। लेकिन लोक निर्माण विभाग ने इस मामले को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का मन बनाया है।
--आईएएनएस
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