अमेठी। लोकसभा चुनाव में पहली बार अमेठी संसदीय सीट से निर्वाचित हुई स्मृति ईरानी के करीबी माने जाने वाले बरौलिया गांव के पूर्व प्रधान की अज्ञात बदमाशों ने शनिवार रात गोली मारकर हत्या कर दी। अपने करीबी की हत्या पर स्तब्ध ईरानी रविवार दोपहर में बरौलिया गांव पहुंची और मृतक परिवार को सांत्वना दी। स्मृति ने सिंह के पार्थिव शरीर पर पुष्प चढाये और इस दौरान वह काफी भावुक हो गयीं। इसके बाद सुरेंद्र सिंह की अंतिम यात्रा में स्मृति ने पार्थिव शरीर को कंधा दिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सुरेंद्र सिंह की शव यात्रा में राज्य के कई मंत्री भी शामिल रहे जिनमें मोहसिन रजा, केशव प्रसाद मौर्य सहित विधायक भी शामिल थे। सुरेंद्र सिंह की मौत को लेकर परिवार के सदस्य ने बताया, 'सुरेंद्र सिंह रात में कई निमंत्रण से आए थे और खाना खाकर लेट गए। करीब रात 11.30 बजे किसी ने गोली मार दी। किसी के साथ कोई पुरानी रंजिश नहीं थी। इसमें चुनावी रंजिश हो सकती है, क्योंकि स्मृति की जीत के बाद परसों जुलूस निकाला था।'
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता की मौत अत्यंत दुखद है । वह परिश्रमी कार्यकर्ता थे । भले ही हत्यारे जमीन के भीतर क्यों ना छिपे हों, उन्हें पकड़ लिया जाएगा । इस घटना से पूरी अमेठी दुखी है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को 12 घंटे के अंदर परिणाम दिखाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्याल्य ने ट्वीट कर कहा, 'अमेठी के पूर्व प्रधान श्री सुरेन्द्र सिंह की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या पर माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी को कड़ी कार्रवाई करने और अगले 12 घंटों में परिणाम दिखाने के निर्देश दिये हैं। मामले की जांच के लिए आईजी लखनऊ को भेजा गया है।'
बता दें, अमेठी स्थित बरौलिया गांव के पूर्व प्रधान स्थानीय भाजपा नेता सुरेंद्र सिंह को शनिवार रात करीब 11.30 बजे अज्ञात बदमाशों ने गोली मार दी। उन्हें गंभीर हालत में इलाज के लिए लखनऊ भेजा गया, जहां उनकी मौत हो गयी। सिंह के बेटे अभय सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कुछ कांग्रेस समर्थक असामाजिक तत्वों को अमेठी में भाजपा की जीत रास नहीं आयी।
गौरतलब है कि सुरेंद्र सिंह 2017 तक भाजपा के जिला उपाध्यक्ष पद पर तैनात रहे थे। 2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान नंदमहर में अखिलेश यादव की सभा के बाद वह समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गए लेकिन चुनाव के बाद फिर से वापस भाजपा में शामिल हो गए। सुरेंद्र ने 2005 में पहला ग्राम पंचायत चुनाव लड़ा था। साल 2015 में पिछड़ा वर्ग के लिए सीट आरक्षित होने के बाद उन्होंने अपने करीबी राम प्रकाश वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा।
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