लखनऊ । इस साल मार्च में 50 साल पूरे करने वाले उत्तर प्रदेश के पुलिस कर्मियों की स्क्रीनिंग की जाएगी।
जो 'अक्षम, गैर अनुशासित और भ्रष्ट' पाए जाएंगे उन्हें रिटायर कर दिया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस संबंध में नए आदेश अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी), स्थापना, संजय सिंघल द्वारा जारी किए गए हैं।
एक
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि आदेश में कहा गया है कि सभी पुलिस
विभागाध्यक्षों और जिला पुलिस प्रमुखों को कांस्टेबल से लेकर निरीक्षक तक
के पुलिस कर्मियों की स्क्रीनिंग की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
उन्होंने
कहा कि आदेश में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 50 वर्ष की आयु तक के
सभी पुलिस कर्मियों की स्क्रीनिंग उनके 'प्रदर्शन' के आधार पर की जाएगी।
अक्षम, अनुशासनहीन और भ्रष्ट पुलिस कर्मियों को बाहर निकालने के लिए राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों से इस नीति पर जोर दिया है।
एडीजी
(कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने स्पष्ट किया कि "यह कोई नई बात नहीं
है, बल्कि 50 साल से ऊपर के कर्मचारियों की स्क्रीनिंग से संबंधित आदेश साल
1985 से लागू है और यह अन्य विभागों और केंद्र सरकार की इकाइयों में भी
किया गया है।"
उन्होंने कहा कि "इस स्क्रीनिंग को यह नहीं माना जाना
चाहिए कि कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी जाएगी, लेकिन यह सेवा में
उनकी उपयोगिता के अनुसार किया गया है।"
उन्होंने कहा कि "50 वर्ष से
अधिक आयु के वे पुलिस कर्मी, जिनकी स्क्रीनिंग एक बार हो चुकी है, आगे की
स्क्रीनिंग का हिस्सा नहीं होंगे।"
ज्ञात हो कि 2019 में राज्य भर
में इंस्पेक्टर से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों तक के 364 पुलिस
कर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई थी।
इनमें 11 निरीक्षक, 57 उप निरीक्षक, आठ उप निरीक्षक (मंत्रालयी), 80 प्रधान आरक्षक व 200 आरक्षक व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल थे।
इसके
अलावा, कुछ प्रांतीय पुलिस सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों को भी
2019 से अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई थी, जिसमें से सबसे अधिक प्रचारित
मामला आईपीएस अमिताभ ठाकुर का था।
--आईएएनएस
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