लखनऊ । कोविड महामारी में जहां मरीजों को
एक बेड तक मिलना मुश्किल है, वहीं दूसरी लहर में सांस का भी संकट आन पड़ा
है। इस मुश्किल घड़ी में सबसे ज्यादा व्यस्त लखनऊ केजीएमयू का ट्रॉमा सेंटर
और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दो डॉक्टरों की छोटी कोशिश से मरीजों की
सांस टूटने से बच रही है।
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केजीएयू के ट्रामा सेंटर में मरीजों की भरमार है । पहले यहां पर 25
कोरोना मरीज भर्ती हो रहे थे जिनकी संख्या बढ़कर 125 हो गई है। ट्रामा
सेंटर में दुर्घटना में घायल मरीज का भार भी है। ऐसे में लखनऊ समेत पूरे
प्रदेश से रेफर होकर आ रहे मरीजों को यहां पर इलाज के लिए काफी मशक्कत करनी
पड़ती है। इसे देखते हुए केजीएमयू के कोविड प्रबंधन के सह प्रभारी और
ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डा. संदीप तिवारी के छोटे प्रयास से कई मरीजों की
सांसें टूटने से बच रही है। उन्होंने ऑक्सीजन के आभाव में आ रहे लोगों को
आक्सीजन मुहैया कराना शुरू किया। इससे कुछ मरीजों में सुधार हुआ है। जिनमें
से कुछ यहीं पर इलाज करा रहे कुछ घर चले गये।
ट्रामा सेंटर इलाज के
लिए पहुंचे टेकचन्द्र बताते हैं कि ' आज से 4 दिन पहले मेरा ऑक्सीजन लेवल
70 के आस-पास पहुंच गया था। ऐसा लग रहा था कि क्या करें। प्राइवेट
अस्पतालों में आक्सीजन और बेड का टोटा पड़ा है।' वह केजीएमयू पहुंचे वहां
उनकी एक डाक्टर जाते ही स्ट्रेचर पर ऑक्सीजन की व्यवस्था की। जिससे उनका
ऑक्सीजन लेवल ठीक हुआ। इसके बाद उन्हें कुछ घंटो में बेड में मिल गया।
इसी
तरह विकास नगर के सुषील वर्मा की मां का आक्सीजन लेवल 80 था वह भी ट्रामा
सेंटर लेकर पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि 'मां को महज 15 मिनट में ऑक्सीजन
मिलने लगी।'
संदीप तिवारी बताते हैं कि उनका मकसद है कि किसी भी
मरीज की ऑक्सीजन के कमी के कारण उसे कोई परेशानी न हो, जिसका वह पूरा
प्रयास करते है। उनका कहना है कि मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण बेड
मिल पाने में कुछ देर की दिक्कत होती है। ऐसे में मरीजों को स्ट्रेचर में
ही ऑक्सीजन की व्यवस्था की जा रही है। हलांकि जैसे ही बेड खाली होता वैसे
तुरंत उन्हें बेड देकर पूरा सही ढंग से उपचार किया जा रहा है।
संदीप
तिवारी ने बताया कि वह 24 घंटे केजीएमयू में ड्यूटी कर रहे है। उन्होंने
बताया कि ट्रामा सेंटर में पहले 27 बेड पर कोविड के मरीज भर्ती किए जा रहे
थे। अब करीब 125 बेड पर कोविड मरीज भर्ती कर रहे है। करीब 100 मरीज रोजना आ
रहे है। ट्रामा सेंटर में कोविड के अलावा एक्सीडेंटल केस आते उन्हें भी
पूरी तत्पर्यता से देखा जाता है।
राजधानी के डॉ राम मनोहर लोहिया
आयुर्विज्ञान संस्थान में भी मरीजों का लोड बहुत ज्यादा है। यहां पर
ऑक्सीजन के कम लेवल वाले मरीज आ रहे हैं। ऐसे में यहां के रेस्पिरेटरी
मेडिसिन विभाग डा. अमीय पांडेय जो कि हाईडिपेंडेंसी में ड्यूटी कर रहे है।
उनके पास बात करने का भी समय नहीं होता है। ऐसे में वह ड्यूटी के समय ही
2-3 घंटे निकालकर मरीजों को फोन में सलाह देते है। उनकी सलाह से कई मरीज
ठीक भी हुए है।
अमीय पांडेय बताते कि उन्हें 21 अप्रैल से कोविड
प्रबंधन की ड्यूटी ज्वाइन की है। उन्होने बताया कि इस ड्यूटी के अलावा हम
टेलीफोन के माध्यम से लोगों की जान बचाने का क्रम जारी है। अब तक तकरीबन
तीन दर्जन से अधिक लोगों को टेलीफोन से सलाह दे चुके है।
डा. पांडेय
ने बताया कि लखनऊ के रहने वाले बालदेव गुप्ता की ऑक्सीजन लेवल घट बढ़ रहा
था। उन्होंने फोन किया तो कोविड संक्रमण की ड्यूटी में तैनात होने के
बावजूद उन्होंने उन्हें आक्सीजन सिलेण्डर इंजेक्शन एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड
की सलाह दी। जिससे वह अब ठीक हो गये हैं। उन्होंने बताया कि ड्यूटी का
दबाव है। लेकिन मरीज की जान बचाना डाक्टरों का पहला धर्म होता है। इसी कारण
ड्यूटी के बावजूद भी अलग से समय निकालकर फोन से मरीज काउंसिलिंग कर रहे
हैं। पांडेय ने बताया कि 8 घंटे कि शिफ्ट होती है। वो कहते हैं 'करीब 14
दिनों से एकांतवास में हूं। लेकिन लगातार फोन पर मरीजों से जुड़ा हुआ हूं। '
--आईएएनएस
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