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यूपी में बिल्डर संग गठजोड़ करने वाले नपेंगे, दर्ज होगा मुकदमा

Those who tie up with builders in UP will be punished, a case will be registered - Lucknow News in Hindi

लखनऊ । नोएडा के सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट मामले में बिल्डर के साथ मिलीभगत करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले में नोएडा विकास प्राधिकरण सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका की गहन जांच के निर्देश दिए हैं। बुधवार को उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 2004 से 2012 के बीच अलग-अलग समय पर प्रोजेक्ट को अनुमति दी जाती रही। जिसमें तत्कालीन अधिकारियों-कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका पाई गई है। उच्चतम न्यायालय के ताजा आदेश के अक्षरश: अनुपालन कराये जाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि आम आदमी के हितों से खिलवाड़ करने वाला एक भी दोषी न बचे, इसके लिए एक विशेष समिति गठित कर जांच कराई जाए। सीएम के निर्देश के बाद जांच कमेटी गठित कर दी गई है। वहीं, इस प्रकरण में पूर्व में सुनवाई के समय समस्त तथ्यों से उच्चाधिकारियों को अवगत नहीं कराए जाने के कारण नियोजन विभाग के दोषी कर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है।

इससे पहले, बीते मंगलवार को स्थानीय निवासियों की याचिका पर निर्णय देते हुए उच्चतम न्यायालय ने सुपरटेक के ट्विन टॉवर्स को गिराये जाने के आदेश दिए। सुपरटेक के यह दोनों ही टॉवर 40-40 मंजिला हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह टॉवर नोएडा अथॉरिटी और सुपटेक की मिलीभगत से बने थे। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि सुपरटेक अपने ही पैसों से इनको तीन महीने के अंदर-अंदर तोड़े साथ ही खरीददारों की रकम ब्याज समेत लौटाए। 40-40 मंजिला इन सुपरटेक के टॉवर्स में 1-1 हजार फ्लैट्स हैं। कोर्ट ने कहा कि यह टॉवर्स नियमों की अनदेखी करके बनने दिए गए। कोर्ट ने कहा है कि जिन भी लोगों ने इन सुपरटेक ट्विन टॉवर्स में फ्लैट लिए थे उनको 12 फीसदी ब्याज के साथ रकम लौटाई जाएगी। कोर्ट के आदेशानुसार टॉवर गिराने का खर्च सुपरटेक वहन करेगा, जबकि यह कार्य सेंट्रल बिल्डिंग रिचर्स इंस्टिट्यूट के समग्र पर्यवेक्षण में किया जाएगा।

गौरतलब है कि प्रकरण लगभग 10 वर्ष पुराना है। ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या-जीएच-04, सेक्टर-93 ए, नोएडा का आवंटन एवं मानचित्र स्वीकृति का प्रकरण वर्ष 2004 से वर्ष 2012 के मध्य का है। भूखंड का कुल क्षेत्रफल 54815.00 वर्ग मीटर है। इस पर मानचित्र स्वीकृति समय-समय पर वर्ष 2005, 2006, 2009 तथा 2012 में प्रदान की गई।

2012 को संदर्भित योजना की रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में रिट याचिका दायर की गई, जिसमें उनके द्वारा मुख्य बिन्दु यह उठाया गया कि नेशनल बिल्डिंग कोड-2005 तथा नोएडा भवन विनियमावली-2010 में दिए गए प्राविधानों के विपरीत टॉवर संख्या- टी -01 तथा टी-17 के बीच न्यूनतम दूरी नही छोड़ी गई है तथा वहां रहने वाले निवासियों से सहमति प्राप्त नहीं की गयी है।

अप्रैल 2014 में उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने टावर संख्या- टी-16 व टी-17 को ध्वस्त किये जाने के साथ-साथ बिल्डर व प्राधिकरण के तत्कालीन दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही किये जाने के आदेश दिए।

हाईकोर्ट के आदेश के विरूद्ध उच्चतम न्यायालय में दायर विशेष याचिका पर 31 अगस्त 2021 को विस्तृत आदेश आया।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश, टावर संख्या- टी-16 तथा टी -17 को तीन माह के अंदर सुपरटैक लि. के व्यय पर सीबीआरआई की देखरेख ध्वस्त कर दिया जाए एवं टावर संख्या- टी-16 व टी-17 के ऐसे आवंटियों को जिनकी धनराशि पूर्व में वापिस की जा चुकी हो, को छोड़कर अन्य समस्त आवंटियों को उनके द्वारा जमा कराई गई धनराशि की तिथि से दो माह के अंदर 12 प्रतिशत ब्याज सहित मै. सुपरटैक लि. द्वारा धनराशि वापिस की जाए।

--आईएएनएस

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