लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने कहा 100 वर्ष पहले काशी से कनाडा गई माँ अन्नपूर्णा की
प्रतिमा एक बार फिर काशी में स्थापित होगी। मां अन्नपूर्णा की मूर्ति 14
नवंबर को काशी पहुंचेगी। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में 15 नवंबर को स्थापित की
जाएगी।
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मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर संयुक्त प्रेस वार्ता में
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्र सरकार के पर्यटन व संस्कृति मंत्री
जी. किशन रेड्डी ने बुधवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के
प्रयासों से माँ अन्नपूर्णा की दुर्लभ प्रतिमा उत्तर प्रदेश को पुन:
प्राप्त हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि 11 नवम्बर को दिल्ली में
अयोजित समारोह में यह प्रतिमा प्रदेश सरकार को हस्तांतरित होगी। इसके बाद
11 से 14 नवम्बर तक भव्य शोभायात्रा के माध्यम से सूकर क्षेत्र सोरों,
कानपुर नगर और अयोध्या में एक-एक दिवस रात्रि विश्राम करते हुए 14 नवम्बर
को काशी पहुंचेगी। यहां 15 नवम्बर को देवोत्थान एकादशी के शुभ अवसर पर श्री
काशी विश्वनाथ धाम में भव्य समारोह आयोजित कर प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा
की जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का के
प्रयासों से आज भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण हो रहा है। भारतीय ऋषियों
की देन 'योग' को आज दुनिया के 200 देश अंगीकार कर 21 जून को अंतरराष्ट्रीय
योग दिवस मना रहे हैं। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में आयोजित भव्य-दिव्य
प्रयागराज कुंभ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में पूरी
दुनिया सराह रही है। हमारी आयुष विद्या विशेषकर आयुर्वेद को जैसी मान्यता
मिली, वह अद्भुत है। अब इसी क्रम में 100 वर्ष पूर्व पराधीनता काल में काशी
से कनाडा चली गई माँ अन्नपूर्णा की प्रतिमा वापस मिल रही है। कहा कि हमारी
मान्यता है कि माँ अन्नपूर्णा के आशीष से काशी में कोई भूखा नहीं रहता।
देवी अन्नपूर्णा ही बाबा विश्वनाथ को भोजन ग्रहण कराती हैं। ऐसे में इस
दुर्लभ प्रतिमा का विशेष महत्व है।
पत्रकार वार्ता में केंद्रित
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि 2014 के बाद से अब
तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 42 दुर्लभ धरोहरों की देश
वापसी हो चुकी है, जबकि 1976 से 2013 तक कुल 13 दुर्लभ प्रतिमाएं-पेंटिंग
ही वापस लाई जा सकी थीं। रेड्डी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के हालिया
अमेरिका दौरे के बाद 157 ऐसी ही धरोहरों की वापसी का रास्ता साफ हुआ है। यह
भी जल्द भारत लाई जाएगी। उन्होंने बताया कि विभिन्न देशों में भारत के
दूतावासों में सांस्कृतिक मिशन ऐसी दुर्लभ धरोहरों को चिन्हित करने का काम
कर रहा है। ब्रिटिश काल में तमाम भारतीय प्रतिमाएं, कलाकृतियां दूसरे देशों
में ले जाई गई थीं, लगातार प्रयास कर सब वापस लाए जा रहे हैं।
--आईएएनएस
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