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विपक्ष के मजबूत किलों में राज्यपाल के जरिए पैठ बनाने की कवायद

The exercise of making inroads in the strong forts of the opposition through the Governor - Lucknow News in Hindi

लखनऊ। आगमी लोकसभा चुनाव के लिए सभी दल अपने स्मीकारण बैठने में जुटे हुए हैं। इसी क्रम में भाजपा पूर्वांचल से अब तक पांच लोगों को राज्यपाल बना चुकी है। इस इलाके में भाजपा को मुख्य विपक्षी दल सपा से चुनौती मिल रही है। मना जा रहा है कि इन राज्यपाल की नियुक्तियों से भाजपा न केवल जातीय समीकरण साधेगी, बल्कि रामचरित मानस और जातीय जनगणना के माध्यम से ओबीसी वोट तोड़ने की विपक्ष ने जो कोशिश की है, उसका जवाब दे सकेगी। रविवार को केंद्र ने 13 राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति की। इनमें कुछ इधर से उधर किए गए हैं। इस दूरगामी सियासी असर वाली नियुक्तियों में पूर्वांचल से पूर्व केंद्रीय मंत्री व ब्राह्मण चेहरे के रूप में जाने जाने वाले शिव प्रताप शुक्ला हैं, तो पूर्वांचल के वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले चुनाव संयोजक रहे अनुसूचित जनजाति समाज से आने वाले एमएलसी लक्ष्मण प्रसाद आचार्य भी शामिल हैं। इसके अलावा बिहार के राज्यपाल रहे फागू चौहान को इधर-उधर किया गया है। राजनीतिक जानकर कहते हैं कि भाजपा ने इस बार यूपी में हारी सीटों को जीतने के अलावा जातीय समीकरण को ठीक करने के लिए यह दांव चला है। इससे पहले जेपी नड्डा दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान पाते ही पूर्वांचल की धरती गाजीपुर से चुनावी आगाज किया था। अभी चुनाव में भले ही करीब एक साल से ज्यादा का समय बाकी हो, लेकिन भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। राज्यपाल भले ही राजनीतिक पद न हो, फिर भी चेहरे के जरिए पार्टी एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। हिमांचल में अभी हाल में ही कांग्रेस की सरकार बनी है। ऐसे में भाजपा ने अपने अनुभवी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवप्रताप शुक्ल को कमान देकर ब्राह्मणों को साधने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र के रहने वाले लक्ष्मण प्रसाद आचार्य भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष होने के साथ ही यूपी विधान परिषद के सदस्य भी रहे हैं। पूर्वांचल में आदिवासी-दलित समाज के बीच भाजपा की पैठ बनाने में इनकी अच्छी भूमिका मानी जाती है। लक्ष्मण आदिवासी बहुल सोनभद्र के मूल निवासी हैं। जानकारों का मानना है कि प्रदेश में रामचरित मानस की चौपाई के जरिये विपक्ष दलितों और पिछड़ों के बीच भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहा है। केंद्र सरकार ने आचार्य की नियुक्ति के जरिए इन वर्गों को संदेश देने की कोशिश की है, कि भाजपा के लिए पिछड़ों और दलितों का महत्व सर्वोपरि है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो यूपी में पार्टी सभी सीटों पर जीत चाहती है। लेकिन कुछ दिनों से ऐसे मुद्दे उठाए जा रहे, जो सियासत में जातीय समीकरण को काफी प्रभावित कर सकते हैं। इसी लिहाज से यह कदम उठाया गया है। इसके माध्यम पार्टी को जातीय समीकरण बनाने में मजबूती मिलेगी।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि भाजपा ने 2024 की तैयारी बहुत पहले से शुरू कर दी है। उसने जातीय समीकरण को दुरुस्त करने का प्रयास किया। अगर पूर्वांचल को देखेंगे तो यहां से पांच राज्यपाल है। इनमें कलराज मिश्रा, फागू चौहान, मनोज सिन्हा, अब शिवप्रताप शुक्ला और लक्ष्मण आचार्य शामिल हैं। पार्टी ने अपने समीकरण को दुरुस्त करने का प्रयास किया है। साथ ही मंडल-कमंडल जैसे मुद्दों की धार कुंद करने का प्रयास किया है। हालांकि इसमें कितनी सफलता मिलेगी यह आने वाला वक्त बताएगा।(आईएएनएस)

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Web Title-The exercise of making inroads in the strong forts of the opposition through the Governor
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