लखनऊ। आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सतर्कता जांच शुरू करने के बाद आईपीएस अधिकारी अजय पाल शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। एसआईटी के महानिदेशक आर. पी. सिंह ने कहा कि सरकार के निर्देश पर शर्मा के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक साजिश रचने और सबूत मिटाने के आरोपों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा, "हमने एक टीम बनाई है और आईपीएस अधिकारी के खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि लखनऊ के हजरतगंज पुलिस थाने में एक महिला द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी को भी ध्यान में रखा गया है।
गौरतलब है कि आठ मार्च को शर्मा की पत्नी होने का दावा करने वाली एक महिला ने हजरतगंज पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अधिकारी के कई सारे अफेयर हैं और इसे छिपाने के लिए उन्होंने उस महिला को धोखाधड़ी के एक मामले में फंसाया, जिसके चलते 10 अगस्त, 2019 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
बहरहाल, आईपीएस शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि ये सभी आरोप झूठे हैं और वह महिला उनकी पत्नी नहीं है।
इससे पहले, आईपीएस अधिकारी वैभव कृष्ण द्वारा पांच साथी आईपीएस अधिकारियों अजय पाल शर्मा, सुधीर कुमार सिंह, गणेश साहा, राजीव नारायण मिश्रा और हिमांशु कुमार के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए नौ जनवरी, 2020 को मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक तीन सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया गया, जिसमें आईजी एसटीएफ और जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठवाल शामिल थे।
वैभव कृष्ण ने पांच अधिकारियों के खिलाफ अगस्त में गृह विभाग में शिकायत दर्ज कराई थी और इसकी एक प्रति पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भी दी थी।
एसआईटी ने दो आईपीएस अधिकारियों अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार के खिलाफ सरकारी कार्रवाई की सिफारिश की थी। अन्य तीनों पर कदाचार के आरोप थे। (आईएएनएस)
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