लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता स्वामी चिन्मयानंद पर लगे यौन उत्पीडऩ के आरोपों के बाद विवाद खड़ा हो गया है। चिन्मयानंद (72) एक राजनीतिज्ञ होने के अलावा संत, शिक्षाविद्, तांत्रिक, योग गुरु, दार्शनिक और संपादक भी हैं। गोंडा जिले में 1947 में अवध के शाही परिवार में जन्मे चिन्मयानंद का असली नाम अभी तक किसी को नहीं पता है। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की और फिर तपस्वी जीवन जीने के लिए राजसी पद त्याग दिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अयोध्या आंदोलन के दौरान चिन्मयानंद उन पहले संतों में से एक थे जिन्होंने राजनीति में कदम रखा। जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेताओं ने नौ नवंबर 1989 को अयोध्या में शिलान्यास करने की तैयारी कर वहां भव्य मंदिर की नींव रखी, तो इसमें चिन्मयानंद की भी भूमिका थी। उन्होंने जौनपुर से 1999 का लोकसभा चुनाव जीता और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री बने।
इसी बीच चिन्मयानंद ने शाहजहांपुर में कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की। स्वामी शुकदेवानंद पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज (एसएस कॉलेज) उनमें से एक है। चिन्मयानंद इन कॉलेजों को ट्रस्टी व मैनेजर के तौर पर चलाते हैं। वह दो मासिक पत्रिकाओं प्रामार्थ और विवेक रश्मि के संपादक भी बने।
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