लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सहारनपुर हिंसा की जांच रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप दी है। इसमें सांप्रदायिक और जातीय हिंसा के लिए प्रशासन की लापहरवाही के अलावा भीम सेना और भाजपा सांसद राघव लखनपाल को जिम्मेदार ठहराया गया है। गृह मंत्रालय को भेजी गई छह पन्नों की इस रिपोर्ट के मुताबिक, भीम आर्मी ने सहारनपुर में जातीय हिंसा को हवा दी, वहीं प्रशासन की नाकामी ने भी इस हिंसा को भडक़ने में मदद की। सहारनपुर के दोनों बड़े अफसरों यानि डीएम और एसएसपी के बीच पूर्ण रूप से तालमेल का अभाव था, जिससे हिंसा को काबू करने में दिक्कत हुई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सहारनपुर हिंसा में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर और बसपा के पूर्व विधायक रविंदर उर्फ मोलू ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और हिंसक प्रदर्शन किए। चंद्रशेखर की अगुआई में भीम आर्मी ने राजपूत और दलितों के बीच जानबूझकर हिंसा भडक़ाने का काम किया। यही नहीं, जब हिंसा जारी थी, तो आसपास के इलाके के कुछ असामाजिक तत्वों ने, जो अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, सहारनपुर की घटना से राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिक की।’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सहारनपुर की हिंसा एक सोची समझी साजिश का हिस्सा थी। यहां विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने कई मौकों पर हिंसा भडक़ाने का काम किया है। इस रिपोर्ट में सिलसिलेवार बताया गया है कि कैसे और कब-कब हिंसा भडक़ाने की कोशिश की गई। रिपोर्ट में भाजपा सांसद राघव लखनपाल की भूमिका को भी आपत्तिजनक माना गया है और उन्हें भी गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में हिंसा भडक़ाने के लिए जिम्मेदारी ठहराया गया है। राघव लखनपाल के बारे में रिपोर्ट में लिखा गया है, ‘बीजेपी सांसद ने अप्रैल 2016 में प्रशासन की इजाजत के बगैर न सिर्फ शोभायात्रा निकाली, बल्कि शोभायात्रा को अल्पसंख्यक बहुल इलाके से भी जानबूझकर निकाला। मुस्लिम समुदाय ने इसका विरोध किया था और इस वजह से वहां सांप्रदायिक हिंसा भडक़ी।
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