ट्रस्ट के सूत्रों का कहना है 67 एकड़ भूमि का समतलीकरण करने, पुरातत्व
सर्वेक्षण द्वारा की गई खुदाई को बराबर करने, गड्ढे को भरने, लेआउट तैयार
करने में बहुत समय लगेगा। सूत्रों ने यह भी कहा है कि पिछले 30 वर्षों से
रामलला मंदिर परिसर में किसी को भी जाने की इजाजत नहीं मिली है। लिहाजा
वहां क्या स्थिति है किसी को पता नहीं है।
उसका जायजा लिए बगैर कोई भी तिथि
तय करना मुमकिन नहीं है। साथ ही सुरक्षा कारणों से भी तुरंत मंदिर निर्माण
कार्य शुरू नहीं हो सकता है, क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों की अनुमति बगैर
वहां कुछ भी करना संभव नहीं है। मंदिर निर्माण शुरू करने के पहले रामलला
विराजमान को किसी और स्थान पर रखना होगा और इसके लिए भी सुरक्षा एजेसियों
से अनुमति लेनी पड़ेगी और इसमें भी थोड़ा वक्त लगेगा।
सूत्र ने कहा कि इन
सभी मुद्दों पर ट्रस्ट की बैठक में चर्चा होगी। शुरुआती दौर के सारे काम
आर्किटेक्ट और इंजीनियरिंग से जुड़े लोगों का है। जब तक आर्किटेक्ट और
टेक्निकल लोगों के सुझाव और सर्वे नहीं आ जाते तब तक मंदिर निर्माण की तिथि
तय करना मुश्किल होगा।
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