लखनऊ। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अन्य के खिलाफ नेशनल हेराल्ड से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस में चार्जशीट पेश की गई है। इससे देश का राजनीतिक पारा चढ़ गया है। कांग्रेस नेताओं के तेवर काफी गर्म हैं तो भाजपा नेता अपने बयानों से राजनीतिक तापमान गिराने के प्रयास कर रहे हैं।
भाजपा सांसद और राज्यसभा के पूर्व उपसभापति डॉ. दिनेश शर्मा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "भारत में कानून सबके लिए समान है, संस्थाएं स्वतंत्र हैं और सरकार जांच एजेंसियों पर कोई दबाव नहीं बनाती।" यह बयान ऐसे समय में आया है जब विपक्ष, खासकर कांग्रेस, बार-बार आरोप लगाता रहा है कि मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक बदले की भावना से कर रही है। राहुल गांधी को निशाने पर लेना कांग्रेस के लिए प्रतीकात्मक रूप से एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है। वहीं भाजपा इस केस को कानून और पारदर्शिता का विषय मानती है, जिसे किसी भी व्यक्ति की हैसियत के ऊपर रखा जाना चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डॉ. दिनेश शर्मा का यह कहना कि “जो भी तथ्य मांगे जाएं, उन्हें पेश किया जाए”। न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और सहभागिता की अपेक्षा को दर्शाता है। उनका यह भी मानना है कि “भारत की न्याय व्यवस्था पूरी तरह निष्पक्ष है।” वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा की उस नैरेटिव को पुष्ट करता है कि एजेंसियां स्वतंत्र रूप से कार्य कर रही हैं।
हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया का एक स्पष्ट राजनीतिक प्रभाव है।
लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाइयाँ, जनमानस में यह संदेश दे सकती हैं कि सरकार अपने विरोधियों को निशाना बना रही है। वहीं भाजपा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के रूप में पेश कर रही है। इस पूरे मुद्दे में न्यायिक निष्पक्षता के साथ-साथ राजनीतिक संदेशों का संतुलन बनाना आवश्यक है, ताकि जनविश्वास बना रहे।
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