लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पांच केंद्रीय जेलों में
क्षमता से पचास प्रतिशत अधिक कैदियों को रखा गया है, जिसमें से बड़ी संख्या
विचाराधीन कैदियों की है। जनसूचना अधिकार के तहत अपर महानिरीक्षक
(प्रशासन) डॉ. अख्तर रियाज की ओर से दी गई सूचना में यह तथ्य सामने आया कि
उत्तर प्रदेश के केंद्रीय कारागारों में उनकी क्षमता से 50 प्रतिशत अधिक
कैदी मौजूद हैं।
अख्तर रियाज द्वारा दी गई सूचना के मुताबिक, 30 अप्रैल के अनुसार उत्तर
प्रदेश में नैनी (इलाहाबाद), वाराणसी, फतेहाबाद, बरेली तथा आगरा में पांच
केंद्रीय कारागार हैं, इनमें मात्र नैनी में 60 महिला और 120 अल्प-व्यस्क
कैदियों के रखे जाने की व्यवस्था है और शेष कारागारों में मात्र पुरुष कैदी
रखे जाते हैं। सबसे अधिक क्षमता नैनी की 2060 कैदियों की है, जिसके बाद
बरेली में 2053 कैदियों की व्यवस्था है, जबकि वाराणसी के केंद्रीय कारागार
में सबसे कम 996 कैदियों की क्षमता है। इन पांच केंद्रीय कारागारों में कुल
क्षमता 7438 पुरुष, 60 महिला और 120 अल्प-व्यस्क कैदियों की है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इसके
विपरीत 30 अप्रैल को इन पांच केंद्रीय कारागारों में 9353 सजायाफ्ता कैदी
थे, जिसमें 9290 पुरुष, 29 महिला, सात अल्पव्यस्क और 27 विदेशी थे। इसके
साथ कुल 2117 विचाराधीन कैदी भी थे, जिसमें 1921 पुरुष, 67 महिला, 119
अल्पव्यस्क तथा 10 अन्य कैदी थे।
साथ ही महिला कैदियों के साथ दो
पुरुष और एक महिला शिशु भी थे। इस प्रकार उस तिथि को इन केंद्रीय कारागारों
में कुल 11,470 कैदी थे, जिसमें 11,211 पुरुष, 96 महिला, 126 अल्पव्यस्क,
27 विदेशी तथा 13 अन्य थे, जो इन कारागारों की क्षमता से 50 प्रतिशत अधिक
है।
वादी आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर का कहना है कि इस प्रकार
केंद्रीय कारागारों में क्षमता से बहुत अधिक कैदियों का होना तथा इनमें
काफी संख्या में विचाराधीन कैदी होना चिंता का विषय है और इस संबंध में
शीघ्र कार्रवाई की आवश्यकता है।
आईएएनएस
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