लखनऊ। पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद उनका समर्थन करते हुए उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी 10,000 से अधिक डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं, जिसके कारण राजधानी में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), क्वीन मैरीज हॉस्पिटल, संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआईएमएस) और डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आरएमएलआईएमएस) के रेजीडेंट डॉक्टर सोमवार सुबह छह बजे से मंगलवार सुबह छह बजे तक हड़ताल पर चले गए हैं।
आपातकालीन और ट्रॉमा सेवाएं संचालित रहेंगी लेकिन बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सेवाएं और ऑपरेशन सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं।
कोलकाता स्थित एनआरएस मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के समर्थन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल का आह्वान किया है। एनआरएस मेडिकल कॉलेज में एक मरीज की मौत हो जाने के बाद उसके परिजनों ने 10 जून को जूनियर डॉक्टरों पर हमला कर दिया था।
ऐहतियात के तौर पर लखनई के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नरेंद्र अग्रवाल ने सभी जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा केंद्रों को रोगियों की भीड़ से निपटने की तैयारी करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कोई भी जरूरतमंद चिकित्सा सुविधा से वंचित न रहे जरूरी इंतजाम करने को कहा है।
केजूएमयू आरडीए के अध्यक्ष और डॉक्टर नयनी अमरीन ने कहा, ‘‘आईएमए के आह्वान पर केजीएमयू, एसजीपीजीआईएमएस और आरएमएलआईएमएस के रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशनों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। हम आपातकालीन सेवाएं प्रभावित नहीं होने देंगे।’’
इसी बीच, बलरामपुर अस्पताल में रोगियों की लंबी कतारें देखी गईं जहां डॉक्टर हड़ताल में शामिल नहीं हुए हैं।
(आईएएनएस)
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