पुलिस के कारनामों ने योगी सरकार की जमकर किरकिरी करवाई है। 17 जुलाई को
भूमि पर कब्जा करने को लेकर सोनभद्र घोरावल कोतवाली क्षेत्र के ग्राम
पंचायत मूर्तिया के उभ्भा गांव में नरसंहार हुआ था। उसमें दस लोगों की जान
चली गई थी और 28 लोग घायल हो गए थे। इसे लेकर विपक्ष हमलावार भी हुआ। सरकार
की छवि खराब हुई। पुलिस प्रशासन की लापरवाही के चलते इतना बड़ा कांड हो
गया। बाद में मुख्यमंत्री को जिलाधिकारी और कप्तान को हटाना पड़ा।
इसके अलावा बाराबंकी में जहरीली शराब पीने से 12 लोगों की मौत हो गई थी।
उससे पहले सहारनपुर में 55 मौतें, जबकि मेरठ में 18, कुशीनगर में 10 मौतें
हो चुकी है। इसमें भी सरकार को विपक्ष ने घेरा था। बाद में कार्रवाई की गई
थी।
पुलिस के कारनामों की फेहरिस्त कम नहीं है। इसमें उन्नाव का माखी कांड का
मामला भी शामिल है। इसमें पुलिस ने भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर के इशारे पर
दुष्कर्म पीड़िता के पिता पर फर्जी मुकदमें लगाकर जेल भेजने से पहले इतनी
पिटाई कर दी थी, जिससे उसकी कुछ दिन में मौत हो गई। इस मामले ने तूल पकड़ा
तो मामला सीबीआई के पास गया तब विधायक की गिरफ्तारी हुई।
सरकार की इस मामले में बहुत फजीहत हुई। इसके बाद फिर यही मामला एक बार फिर
गूंजा। इसमें दुष्कर्म पीड़िता अभी भी मौत से लड़ रही है।
इस
कांड से सरकार की फिर एक बार भद्द पिटी। ऐसे कई मामले हैं, जिनमें पुलिस
के कारनामों के कारण योगी सरकार की बदनामी हुई है।
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