लखनऊ ।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत ने सत्य, शान्ति, सौहार्द और बन्धुता की राह पर सदैव विश्व का नेतृत्व किया है। मानवता के कल्याण के लिए हजारों वर्षाें से भारत की ऋषि परम्परा के प्रसाद के रूप में योग, ध्यान, समाधि आदि अवस्थाओं का प्रचार किया गया है। परमतत्व का ज्ञान प्राप्त करने में सहायक भारतीय ऋषि परम्परा के प्रसाद को पूरब से पश्चिम तक पहुंचाने वाले परमहंस योगानन्दएक महान सन्त थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर योगदा सत्संग सोसायटी आॅफ इण्डिया द्वारा परमहंस योगानन्दजी की 125वीं जयन्ती पर आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि परमहंस योगानन्दजी का जन्म 5 जनवरी, 1893 को गोरखपुर में हुआ था। योगानन्दजी ने अपने 61 वर्ष के जीवन में से 32 वर्ष का समय विदेशों में यहां के साधना मार्गाें से विश्व को परिचित कराने में बिताया। साधनाओं का मार्ग अलग-अलग हो सकता है, किन्तु सभी का लक्ष्य एक है। परमहंस योगानन्द जी ने मानवता के कल्याण के लिए जो मार्ग प्रशस्त किया, वह वर्तमान में भी प्रासंगिक है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्य सभा सांसद भूपेन्द्र यादव ने कहा कि जीवन जीने का सही तरीका केवल ज्ञान नहीं, बल्कि उसकी अनुभूति है। परमहंस योगानन्दजी ने क्रियायोग के माध्यम से संसार में रहते हुए ससीम से असीम होने का अनुभव दिया है। यह पद्धति वस्तुतः स्वयं को बदलकर व्यापक परिवर्तन का प्रयास है। उन्होंने परमहंस योगानन्दजी की 125वीं जयन्ती को भारत सरकार द्वारा मनाये जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति आभार जताया।
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