लखनऊ । तेल की बढ़ती कीमतों, नए ई-वे बिल और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के खिलाफ कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा आहूत भारत बंद को शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में कोई खास प्रतिक्रिया नहीं मिली। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (एटवा) ने बंद को समर्थन देने की घोषणा की थी, लेकिन उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ट्रांसपोर्टरों का बंद पर रुख बंटा रहा और सुबह 6 बजे 'चक्का जाम' के बाद भी सड़क पर ट्रकों की आवाजाही जारी रही। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
शुक्रवार को लखनऊ में अपने ट्रक के साथ देखे गए हरियाणा के एक ट्रक ऑपरेटर दलजीत सिंह ने कहा, "हम पूर्व सूचना के बिना ट्रकों को रोक नहीं सकते हैं। हमारे लिए ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करना और समय पर माल पहुंचाना प्रतिबद्धता है।"
लखनऊ, मेरठ और आगरा सहित लगभग सभी प्रमुख शहरों में वाणिज्यिक प्रतिष्ठान शुक्रवार को खुले रहे।
मेरठ के एक व्यवसायी राज कुमार चौधरी ने कहा, "भारत बंद को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी। इसके अलावा, हमारा कारोबार पहले से ही सुस्त है। हम और ज्यादा बंद नहीं कर सकते।"
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) की कोर कमेटी के अध्यक्ष मलकीत सिंह ने कहा कि उन्होंने भारत बंद से पहले ही खुद को इससे अलग कर लिया था।
उन्होंने कहा, "यह बंद केवल कागज पर है न कि जमीनी स्तर पर।"
इस बीच, शुक्रवार को लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर में पुलिस बल की भारी तैनाती देखी गई। ट्रांसपोर्ट नगर राज्य की राजधानी में परिवहन गतिविधि का केंद्र है और ट्रांसपोर्टरों का एक मीटिंग पॉइंट है।
जिला के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किसी भी व्यावसायिक या परिवहन गतिविधि को बलपूर्वक बंद कराने की कोशिश को रोकने के लिए पुलिस की तैनाती की गई है।
--आईएएनएस
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