लखनऊ | उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक
(डीजीपी) सुलखान सिंह ने राज्य के सभी पुलिस और कर्मचारियों को लिखे पत्र
में कहा है कि जब तक थानों की कार्यशैली में सुधार नहीं होगा, तब तक आदर्श
पुलिस-व्यवस्था को यथार्थ के धरातल पर नहीं उतारा जा सकता।
डीजीपी ने मंगलवार देर रात लिखे अपने पत्र में कहा, "किसी भी विभाग में
बगैर टीम भावना के सुधार संभव नहीं है। पुलिस विभाग भी इसका अपवाद नहीं हो
सकता। पुलिस मुख्यालय से लेकर थाना कार्यालय तक आपसी समन्वय और बेहतर
नियोजन से न केवल पुलिस की कार्य संस्कृति में आमूल-चूल परिवर्तन लाएं,
अपितु समाज के अंतिम किनारे पर खड़े व्यक्ति को उसकी गरिमा और सम्मान की
गारंटी दें।" ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डीजीपी ने कहा, "विनम्रता और पीड़ितों के प्रति
मानवोचित गरिमा प्रदर्शित किए बिना किसी भी प्रकार की सार्थक पुलिसिंग संभव
नहीं है। थाने पर आने वाले हर जरूरतमंद के दुख-दर्द व पीड़ा को धैर्य एवं
सहानुभूतिपूर्वक सुनना और पीड़ा के निवारण के लिए प्रयास करना हमारा
कर्तव्य है और यहीं से पुलिस की विश्वसनीयता की शुरुआत होती है।"
अफसरों
और कर्मचारियों को हिदायत देते हुए डीजीपी ने लिखा है, "शिकायती
प्रार्थना-पत्रों की जांच व अपराधों की विवेचना में निष्पक्षता हमारा
मूलमंत्र होना चाहिए। अपराधों का पंजीकरण न करना समाज में अलोकप्रिय छवि को
उजागर कराता है और इससे जनता के प्रति हमारी विश्वसनीयता में गिरावट आती
है।"
--आईएएनएस
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