लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल और उसके 'लावारिस वार्ड' का दौरा कर मरीजों के ठीक से इलाज नहीं करने के आरोपों की पुष्टि करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा की अवकाश पीठ ने गुरुवार को एक ज्योति राजपूत द्वारा दायर जनहित याचिका पर आदेश पारित किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पीठ ने सीएमओ, लखनऊ और सिविल अस्पताल के अधीक्षक को याचिकाकर्ता के आरोपों पर गौर करने, उसके द्वारा भर्ती एक लावारिस मरीज का इलाज सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता के आरोपों को सुनकर कि अस्पताल के अधिकारी और डॉक्टर 'लावारिस वार्ड' में भर्ती छह मरीजों के प्रति पूरी तरह से बेपरवाह थे, जो गंदा और बदबूदार है, पीठ ने कहा, यह बहुत आश्चर्य की बात है कि इतने प्रतिष्ठित अस्पताल में 'लावारिस वार्ड'' की स्थिति इतनी दयनीय है, जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा सूचित किया गया है।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि 29 मई को उसने एक वृद्ध व्यक्ति सूरज चंद्र भट्ट को देखा, जो लकवाग्रस्त अवस्था में कमर से नीचे नग्न अवस्था में था और बार-बार मल त्याग कर रहा था।
याचिकाकर्ता ने मेडिकल इमरजेंसी नंबर '108' पर कॉल किया और परित्यक्त व्यक्ति को सिविल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ले गया। जब वह अगले दिन अस्पताल गई, तो उसने पाया कि वह उसी स्थिति में था। उसका बिस्तर गंदा था और किसी डॉक्टर ने उसकी जांच तक नहीं की थी।
बाद में मरीज को 'लावारिस वार्ड' में शिफ्ट कर दिया गया, जहां हालात बेहद दयनीय हैं। जनहित याचिका में कहा गया था कि लकवे की स्थिति में छह अन्य मरीज थे और एक मरीज अर्ध-लकवाग्रस्त था। सभी छह मरीजों ने अपने बिस्तर गंदे कर रखे थे। याचिकाकर्ता ने संबंधित अधिकारियों को सूचित किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
--आईएएनएस
अधीर रंजन चौधरी की मांग : कनाडा में पीएम के कटआउट का अपमान करने, भारतीय झंडा जलाने वाले खालिस्तानी तत्वों पर करें कार्रवाई
केंद्रीय नेतृत्व ने नीतीश कुमार को साथ लेने का फैसला लिया तो भाजपा में हो जाएगा विद्रोह : सुशील मोदी
सैन्य गठबंधन नहीं, हम विवादों का शंतिपूर्ण हल चाहते हैं : सेनाध्यक्ष मनोज पांडे
Daily Horoscope